Home घटना ✍ जंगल में बेहोश पड़े जंगली हाथियों का इलाज चुनौती………

✍ जंगल में बेहोश पड़े जंगली हाथियों का इलाज चुनौती………

तड़पते हाथियों को दूर से खड़े होकर देखने के सिवाय वे कुछ नहीं कर पा रहे

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अंबिकापुर। सूरजपुर जिले के बिहारपुर क्षेत्र से लगे खेत व जंगल में बेहोश पड़े जंगली हाथियों का इलाज अभी तक संभव नहीं है। सूरजपुर डीएफओ बीएस भगत तो मौके पर पहुंच चुके है लेकिन वन अमले के साथ तड़पते हाथियों को दूर से खड़े होकर देखने के सिवाय वे कुछ नहीं कर पा रहे है। सुबह बिहारपुर के पशु चिकित्सक मौके पर पहुंचे थे लेकिन वे भी जंगली हाथियों को देखकर लौट गए।खेत के नजदीक कुछ हाथी बेहोश है। और कुछ नजदीक के जंगल में पड़े हुए है। अभी तक पशु चिकित्सकों की टीम मौके पर नहीं पहुंच सकी है।खेत के नजदीक हाथी का एक बच्चा भी बेहोश है। उसके नजदीक हथिनी के खड़े होने के कारण टीम आगे भी नहीं बढ़ पा रही है। आक्रामक हो चुकी हथिनी लोगों को दौड़ा रही है।दल में लगभग कुछ तीस हाथी है। रविवार की रात हाथियों ने जंगल से लगे कच्चे घरों को तोड़ा था। अनाज भी खाया था।खेत और खलिहान में रखी फसल को भी खाकर और पैरों से कुचल नुकसान पहुंचाया था। हाथियों से सर्वाधिक प्रभावित सूरजपुर जिले में तमोर पिंगला अभयारण्य क्षेत्र है। यहां वर्ष भर लगभग 70 से 80 हाथियों की मौजूदगी रहती है।ये सारे हाथी इन दिनों बाहर निकल आए है। हाथियों का यह दल भी वहीं से पहुंचा था।वन विभाग के समक्ष पहली बार बड़ी चुनौती आई है।जंगल में जंगली हाथियों की मौजूदगी से जनहानि का भी खतरा है। ऐसे में बेहोश हाथियों का उपचार कैसे होगा इसकी रणनीति भी तैयार की जा रही है।वन विभाग के पास सरगुजा वनवृत्त में विभागीय पशु चिकित्सक नहीं है।वन्य जीव चिकित्सक या विशेषज्ञ की कमी भी अब खल रही है।पशुपालन विभाग के चिकित्सक पहुंच भी जाएंगे तो उपचार कैसे होगा इसे वन अधिकारी भी नहीं समझ पा रहे है। सरगुजांचल में खरीफ सीजन में हाथियों द्वारा लगातार फसलों को नुकसान पहुंचाया जाता है। प्रभावित क्षेत्र के किसानों की साल भर की मेहनत को हाथी नष्ट कर देते है।पूर्व में ऐसी घटनाएं हो चुकी है जब करंट प्रवाहित तार अथवा खाद्य सामग्री में कीटनाशक मिलाकर जंगली हाथियों की जान ली जा चुकी है। पिछले दो महीनों से सरगुजा वनवृत्त में हाथियों द्वारा लगातार जनहानि भी की जा रही है। रविवार को ही जशपुर जिले में हाथियों ने एक युवक को कुचल मार डाला था।

सूरजपुर जिले के बिहारपुर क्षेत्र में पिछले कई दिनों से नुकसान पहुंचा रहे हाथियों के दल में शामिल 17 से 18 हाथी कछिया ग्राम के समीप गिर गए है। सभी बेहोश है, शरीर में हलचल है लेकिन वे खड़े नहीं हो पा रहे हैं। इस घटना से वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।जिला मुख्यालय सूरजपुर से कछिया की दूरी लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर की है अभी तक स्थानीय वन कर्मचारी ही मौके पर पहुंचे हैं। वन अधिकारी अथवा पशु चिकित्सकों की टीम मौके पर नहीं पहुंच सकी है। घटना की जानकारी गांव वालों के माध्यम से ही वन अमले तक पहुंची है। बताया जा रहा है कि तमोर पिंगला अभ्यारण क्षेत्र से लगे इस दूरस्थ इलाके में हाथियों द्वारा पिछले कई दिनों से नुकसान पहुंचाया जा रहा था। मकान तोड़ने फसलों को नुकसान पहुंचाने से गांव वाले भी त्रस्त थे। इन सबके बीच हाथियों के जमीन पर गिरे पड़े होने की घटना ने वन विभाग को भी चिंता में डाल दिया है। अभी तक कारणों की पुष्टि नहीं हुई है। संभावना जताई जा रही है कि हाथियों को या तो सुनियोजित तरीके से कीटनाशक मिश्रित खाद्य सामग्री दे दी गई है या फिर घर में रखी ऐसी सामग्री का सेवन उन्होंने कर लिया है जिससे स्वास्थ बिगड़ा है। अभी तक हाथियों का उपचार भी संभव नहीं हो सका है। सूरजपुर जिले के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डा. महेंद्र पांडेय का कहना है कि वे मौके के लिए रवाना हो रहे हैं ।

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