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ग्राम सभा एवं विद्यालय में होगी बाल संरक्षण योजना एवं बाल विवाह के महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा……..

जागरूक करने हेतु शपथ

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कोरिया 30 सितम्बर 2021/ महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने बताया कि कलेक्टर श्री श्याम धावड़े के मार्गदर्शन एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत के निर्देशन में 02 अक्टूबर गांधी जंयती के अवसर पर सभी ग्राम पंचायतो में अयोजित ग्राम सभा में एकीकृत बाल संरक्षण योजना, बाल संरक्षण समिति की बैठक, जिले को बाल विवाह मुक्त करने हेतु प्रस्ताव, बाल विवाह के दुष्परिणाम, बाल विवाह कैसे रोका जाय, बाल विवाह के दंण्ड एवं ग्राम पंचायत का इस संबंध में दायित्व इन सभी बिन्दुओं पर चर्चा करते हुये ग्राम सभा में उपस्थित समस्त सदस्यो को जागरूक करने हेतु शपथ दिलाया जावेगा।

बाल विवाह-
हमारे देश में बाल विवाह की प्रथा बडे पैमाने पर रही है। आज भी देश के बहुत सारे हिस्सों में प्रचलित है। देश के कई भागों में रामनवमी, शिवरात्रि, बसंत पंचमी और अन्य त्यौहारों पर बच्चों के विवाह होते है। ये परंपराए स्थानीय समाज के रीति-रिवाज, मूल्य मान्यताओं और सोच से पैदा हुई है। रीति-रिवाज के नाम पर और आगे चलकर ज्यादा दहेज से बचने के लिए छोटे-छोटे लडके-लडकियों की शादी कर दी जाती है। कई मामलों में कम उम्र की लडकियों का विवाह अधेड़ उम्र के पुरूषों से करा दिया जाता है और कहीं-कहीं इन्हें वेश्यावृत्ति की अंधेरी दुनिया में धकेल दिया जाता है।

बाल विवाह के दुष्परिणाम-
कम उम्र में विवाह से बच्चों का बचपन नष्ट हो जाता है, बाल विवाह से बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है। शारीरिक रूप से अपरिपक्व लडकियां अगर बच्चे को जन्म देती हैं तो उनकी सेहत और भी ज्यादा खतरे में पड़ जाती है। बाल विवाह का अर्थ है बच्चे के साथ बलात्कार है क्योंकि तब तक बच्चे ऐसे गंभीर फैसले लेने की उम्र में नही होते है। बाल बहुएं अक्सर कम उम्र में ही विधवा हो जाती है और उन्हें कई बच्चों की देखभाल करनी पड़ती है। कम उम्र में गर्भावस्था के कारण गर्भपात की आशंका भी अधिक होती है तथा किशोरी मां के बच्चे जन्म के समय अकसर कम वजन के होते है तथा एक वर्ष पूर्ण करने के पहले उनकी मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है। लडकियों की तरह कम उम्र में लड़कों की शादी भी उनके अधिकारों का उल्लंधन है। इससे फैसले करने का उनका अधिकार छिन जाता है और उनकी उम्र और क्षमता से ज्यादा बड़ी जिम्मेदारियां उनके कंधों पर आ जाती है।  

क्या किसी बाल विवाह को रोका जा सकता है-
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति पुलिस या बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी (जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी व बाल विकास परियोजना अधिकारी) के पास यह शिकायत दर्ज करवाता है कि इस तरह का विवाह तय किया गया है या इस तरह का विवाह होने जा रहा है तो उसे रोका जा सकता है। शिकायत के आधार पर पुलिस या बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी जांच करके मामले को प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्टेªट के संज्ञान में लाकर शादी को रूकवाने का आदेश जारी करवा सकते है। मजिस्टेªट सूचना मिलने पर स्वयं भी संज्ञान लेकर निषेधाज्ञा जारी कर सकते है। अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर ऐसी निषेधाज्ञा, आदेश का उल्लंधन करता है तो उसे दो वर्ष तक के कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि एक लाख रूपये तक का हो सकता है अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है। बाल विवाह से जन्मी संतान कानूनन वैध होती है, भले ही वह विवाद कानून की नजर में अवैध एवं शून्य करार दिया गया है। यदि किसी बालक को बाल विवाह के लिए बलपूर्वक बाध्य किया जाता है, फुसलाया जाता है, उत्प्रेरित किया जाता है अथवा विक्रय कर उसका विवाह कराया जाता है और अनैतिक प्रयोजन के लिए उसका उपयोग किया जाता है तो ऐसा विवाह अकृत और शून्य होगा।

दण्ड व करावास-  
बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार 21 वर्ष से कम उम्र के लडके और 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के विवाह को प्रतिबंधित किया गया है। यह कानून बाल विवाह के बंधन में बंधने वाले बालक व बालिका को अपना विवाह शून्य घोषित कराने का अधिकार प्रदान करता है। 18 वर्ष से अधिक आयु का पुरूष यदि 18 वर्ष से कम आयु की किसी महिला से विवाह करता है तो उसे 2 वर्ष तक के कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि 1 लाख रूपये तक हो सकता है अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है। इसी तरह कोई व्यक्ति जो बाल विवाह करवाता है, अथवा उसमें सहायता करता है तथा कोई व्यक्ति जो बाल विवाह को बढ़ावा देता है अथवा उसकी अनुमति देता है, बाल विवाह में सम्मिलित होता है उसे भी 2 वर्ष का कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि 1 लाख रूपये तक हो सकता है अथवा दोनो से दण्डित किया जा सकता है। किसी महिला को कारावास का दण्ड नही दिया जा सकता है।

समाज प्रमुख एवं ग्राम पंचायत के कार्य –
बाल विवाह के दुष्परिणामों एवं बाल विवाह प्रतिषेध अधनियम, 2006 के संबंध में लोगों को जागरूक कर सकते है। बाल अधिकारों के उल्लंधन और कम उम्र में विवाह से स्वास्थ्य के लिए पैदा होने वाले खतरों के संबंध में जागरूकता फैला सकते है। लोगों को इस बात के लिए समझा सकते है कि अपने बच्चों के बालिग होने पर ही उनका विवाह करें। सजग रहकर और बाल विवाह की सूचना सक्षम अधिकारियों को देकर बाल विवाह की रोकथाम में मदद कर सकते हैं। वर और वधु के माता-पिता को इस बात के लिए राजी करें कि विवाह को तब तक टाल दें जब तक दोनों बच्चे कानून के हिसाब से बालिग न हो जाएं। दोनो बच्चों को शिक्षा दलाने के लिए उनके माता-पिता के समझाए।
इसी प्रकार हाई स्कूल एवं हॉयर सेकेण्डरी विद्यालय के सभी बच्चों को समय-सयम पर बाल विवाह के संबंध में आवश्यक जानकारी उसके दुष्परिणाम, बाल विवाह कैसे रोका जाय, बाल विवाह के दण्ड एवं शिक्षक तथा बच्चों का इस संबंध में दायित्व इन सभी बिन्दुओं पर चर्चा करते हुये उपस्थित समस्त शिक्षको एवं बच्चों को संकल्प पत्र के अनुसार बाल विवाह एक सामाजिक बुराई व कानूनी अपराध है, इस कुप्रथ को दूर करने हेतु इस अभियान का मैं सदस्य रहूंगा, रहूंगी अपने आस-पास के क्षेत्र में होने वाले ऐसे विवाह के दुष्परिणाम के बारे में लोगो को जागृत करेगें की शपथ दिलाया जावेगा।

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