रायपुर। राजधानी के पचपेड़ी नाका स्थित राजधानी हॉस्पिटल में शनिवार को शाम आग लगने से पांच कोरोना मरीजों की मौत हो गई थी। आग लगने की सूचना जब फायर ब्रिगेड की टीम को दी गई, तो कर्मचारी वहां मौके पर तत्काल पहुंच गए। मगर, उनके सामने पहली बार ऐसा मौका था कि एक तरफ आग थी तो दूसरी तरफ कोरोना संक्रमित मरीज।
ऐसे में कर्मचारियों ने अपनी जान जोखिम में डालकर रेस्क्यू किया और आग बुझाई और अंदर मौजूद 30 से ज्यादा मरीजों को बाहर निकाला। इस दौरान तक तो उनके पास पीपीई किट थी और अन्य ही अन्य मेडिकल के सामान। कोरोना संक्रमितों को बाहर निकालने में एसडीआरएफ के आठ कर्मचारी लगे हुए थे। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमितों के संपर्क में आने के बाद कर्मचारियाें ने आग बुझाने गए दमकलकर्मियों के द्वारा कोरोना पॉजिटिव मरीजों को बाहर निकालने के बाद किसी भी अधिकारी सुध नहीं ली।
आठ दमकलकर्मियों ने घर न जाकर खुद मोतीबाग स्थित फायर स्टेशन में खुद को क्वारंटीन कर लिया है। अब वहीं खुद से व्यवस्था कर खाना बनाकर रहे हैं। फायरमैन अमित कोसले ने बताया कि अब कई बार रेस्क्यू कर चुके हैं। यह पहला मौका था कि एक तरफ आग थी दूसरी तरफ अंदर कोरोना के मरीज थे। आग बुझाने के लिए जब अंदर गए तो वहां मरीज तड़प रहे थे। चारों ओर धुंआ ही धुंआ था। यह नाजारा देखा नहीं गया इसके बाद एक-एक कर के मरीजों को बाहर लाया गया।
फायरमैन शिवेंद्र सिंह ने बताया कि अंदर का मंजर बेहद ही भयावा था। मरीज इधर-उधर बिस्तर में पड़े तड़प रहे थे। जिस फ्लोर में आग लगी थी, वहां के कई मरीजों के चेहरे पूरी तरह से काले पड़ गए थे। कुछ समय के लिए तो डर लगा लेकिन मरीजों के हाल देखकर रहा नहीं गया और किसी को गोद में तो किसी को कंधे में रखकर बाहर निकाला। ड्यूटी इंचार्ज जितेंद्र भट्ट ने कहा कि लगभग चार बजे अस्पताल में आग लगने की सूचना मिली। तत्काल वहां आठ से ज्यादा कर्मचारी पहुंचे। यहां दोहरी भूमिका थी, एक तरफ जहां आग पर काबू पाना था वहीं दूसरी ओर मरीजों को बाहर निकालना था। समस्या थी कि मरीज कोरोना संक्रमित थे। आइसीयू वार्ड में आग लगी थी तो मरीज भी ज्यादा सीरियस थे। दो से तीन लोगों की मौत हो चुकी थी। जो जिंदा थे उन्हें बचाने के प्रयास में टीम जुट गई।