कुछ कार्यकत्र्ता फूफा की तरह नाराज होते?
नरसिंहपुर। नरसिंहपुर जिले में विधानसभा चुनाव का प्रचार जहां अपने पूरे उफान पर है वहीं प्रमुख राजनैतिक दलों के कुछ कार्यकत्र्ता फूफा की तरह नाराज हो कर अपनी नाराजगी भाव भंगिमा में आचरण के साथ व्यक्त कर रहे हैं। कोई उनसे पूंछ लेता कि इस बार कुछ ज्यादा सक्रिय नहीं हो तो,वे आपे में आकर कहते हैं कि फटटा ही उठाते रहें जीवर भर,हमारी भी कोई इज्जत,स्वाभिमान है बिना पूंछे तांसे हमेशा की तरह तो अब लगे नहीं रहेगें। भैया हमें कुछ नहीं चाहिए पर कोई आदर ओर सम्मान तो करें। मैंने उनसे कहा कि हर चुनाव में आप भी फूफा की तरह रूठ जाते हो,ओर मनाने पर मान जाते हो,अपना क्रुद्ध अवतार जब तक नहीं बतायेगें,जब तक आपको मान सम्मान नहीं मिलने वाला है। उन्होंने हुंकार भरे अंदाज में कहा कि वे दूसरों लोगों से अपना चुनाव प्रचार करा ले,जब तक हम लोग ढिग नहीं लगा देते चुनाव प्रचार का कार्य पूरा नहीं होता है। यह सच है कि राजनैतिक पार्टीयों में आज भी स्वाभिमानी कार्यकत्र्ता की कमी नहीं है नाराजगी होने पर भी उनका अपना राजनीति में प्रचार ओर हो हल्ला का चुल अंदर से जोर मारे रहता है जैसे कोई वरिष्ठ नेता या प्रत्याशी उन्हें मनाने की कोशिश करता तो,वो फट से मान जाते,जैसे उन्हें इसी अवसर का इंतजार था। फिर क्या है पूरी ताकत से चुनाव प्रचार में जुट कर पार्टी की नीतियों का प्रचार करने में लग जाते,किसी ने कह दिया कि चलो देर से सही माने तो वे इस पर ऐसे बताते कि उन्होनें किसी जंग में फतह करने का बीड़ा उठाया हो,किसी भी दल में कार्यकत्र्ता कभी भी संतुष्ठ नहीं रहते। जब भी चुनाव आते हैं वह अपने भाव दिखा ही देता है भले ही चुनाव के बाद कार्यकत्र्ताओं की पूछ परख पूर्व की भांति हो जाती। चुनाव दर चुनाव कार्यकत्र्ताओं की उपेक्षा यह दौर अनवरत चल रहा है अब तो ज्यादा तर कार्यकत्र्ता राजनीति में व्यक्तिवादी हो गये हैं उनके नेता ओर भैया जिस करवट लेगें वे उन्हीं के साथ होते हैं। क्योंकि उन्हें मनाने का हुनर इन्हीं लोगों के पास होता है।
भैया राजनैतिक लालपूजा करायी ?
्नरसिंहपुर जिले में प्रत्याशियों के सर्मथकों व प्रत्याशियों ने विघ्न संतोषियों से बचने ओर ऊबरने के लिये राजनैतिक लालपूजा करायी है। राजनैतिक रूप से चिंहित बंटाधार लोग इन दिनों प्रत्याशियों को घेरने में अपने अनुभवों के कारण जाल डालने में सफल हुए है लेकिन प्रत्याशियों के शुभचिंतकों को जैसे ही यह बात पता लगी कि बंटाधारी गण सक्रि य हो गयें तो उन्होंने लालपूजा कराके प्रत्याशियों की,इनकी कुचक्र दृष्टि से बचने के लिये यह सब कराया है कुछ ऐसे बंटाधारी है जिनकी उपस्थिति मात्र से लोग कहने लगते हैं सांप के काटे का तो इलाज है पर इनके डसे का कोई इलाज नहीं है जिन लोगों को इन बंटाधारियों ने डसा वे पीडि़त ओर प्रभावित लोग, प्रत्याशियों को सजग ओर जागरूक करने में लग गयें है ओर बता रहे हैं कि इन विघ्न संतोषियेां से बकायदा दूरी बनाये रखना ओर अपनी गुप्त रणनीति में इनकों साझेदार नहीं बनाना है हम लोग जैसे लुटे ओर ठगे थे कहीं आपके साथ ऐसा ना हो जाये। राजनीति में बंटाधार तरीका भी एक किस्म का तात्कालिक रोजगार है जो हर चुनाव में चिंहिंत होने के बावजूद भी मिल जाता है। बंटाधारी राजनैतिक रूप से जमीन खसखाने में माहिर होतें हैं वे भी जानते हैं चुनाव की वजह से लोग उन्हें ना चाह कर भी बर्दाश्त कर रहें है अपनी रेजगारी कीमत वे हर हाल में वसूल कर लेते हैं। परिणाम के बाद वे खुलकर बताते है कि कैसे उन्होंने प्रत्याशी का बंटाधार कराया है वे इसलिये ऐसा करतेें है उनकी मार्केटिंग हो जाये। ताकि आने वाले चुनावों में उनकी धूम मची रहे।
हमें मालूम है वे कैसे जीत रहे
नरङ्क्षसंहपुर जिले में जहां राजनैतिक बंटाधारी पाये जाते हैं वहीं राजनैतिक रायचंदों की भी कमी नहीं है कहीं जाते नहीं है ओर घर बैठकर ही पूरे जिले के प्रत्याशियों की जीत का टेबिल गणित अपने अधकचरे ओर लुभावने अंदाज में बताने जुट गयें है कोई नहीं भी पूछता पर अपनी अकलमंदी ओर होशियारी का डंका पीटने में ये जग जाहिर हैं। मेरे एक जानने वाले रायचंद है वे जब कभी मिलतें हैं तो अपनी कलाकारी से विधानसभा वार प्रत्याशियों के जीतने का गणित बताते हैं चारों विधानसभा में कौन-कौन किस तरह से जीत रहा है उनके आंकड़े चौंकाने वाले होते है अपने आंकड़ो के पिटारों का उनके पास कई सेट रहते हैं हर किसी को अलग अलग उम्मीदवार ओर आंकड़ो का दावा ठोकते हैं वे इतने चतुर होते हैं कि परिणाम के बाद जो अंाकड़े जीत के फंस गये उन लोगों के पास अपने ज्ञान की डींग हांकने का आलइंडिया प्रदर्शन करते हैं। जो प्रत्याशी दिन-रात एक करके लगा रहता है वह निश्ंिचत तौर नहीं बता पाता है पर ये घर बैठे ही सटटा की स्कीम से अंक बता रहे है इन लोगों का भी मजा लोग,लेने में नहीं चूकते है बताओ अब इस बार कौन कहा से जीत रहा है।
चलते………….चलते………… चलते…………….
नरसिंहपुर जिले में भाजपा ओर कांग्रेस व अन्य दलों के घोषणा पत्रों की चर्चा कुछ मजे मजाये राजनैतिक विश£ेषकों ने आपस में चर्चा करते हुए कहा कि इन घोषणा पत्रों की हर बात पूरी हो जाये तो प्रदेश का कल्याण ही हो जायेगा। पर घोषणा पत्रों में कही गयी बातों पर अमल कितना होता यह सब जानते हैं लच्छू ने पूछा कि घोषणा पत्रों में उल्लिखित बातें आज तक पूरी नहीं होती पर हर बार घोषणा पत्र राजनैतिक दल जारी करते हैं ऐसा क्यों?मैंने उसे बताया कि राजनीति में लोगों के मन को समझाने के लिये अगर कोई झुनझुना होता है वह राजनैतिक दलों का घोषणा पत्र है कहना सब कुछ है पर करना कुछ नहीं है
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