रायपुर। राज्य में सर्वाधिक कोरोना संक्रमित और मौत के मामले सामने आने के बाद प्रशासन ने सख्ती बरतते हुए लाकडाउन लगा दिया था। इसका असर यह हुआ कि कोरोना का गढ़ बनी राजधानी में पिछले कुछ दिनों में कोरोना संक्रमण के मामले घटने लगे हैं। हालांकि, अभी भी संक्रमितों की संख्या के लिहाज से रायपुर शीर्ष पर है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी चार अक्टूबर तक के आंकड़ों के अनुसार, रायपुर में अब तक 35,197 संक्रमित मिले हैं। वहीं राज्य के पांच जिले ऐसे हैं, जहां धीरे-धीरे संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। रायपुर के बाद दुर्ग में 12,327, राजनांदगांव में 8,237, बिलासपुर में 80,60, रायगढ़ में 7,508, जांजगीर-चांपा में 5,400 केस मिले हैं।
अगस्त के बाद से बढ़ते संक्रमण की रफ्तार ने इन जिलों को काफी प्रभावित किया है। सिर्फ 34 दिनों में इन जिलों में 70 फीसद से अधिक केस मिले हैं, जो केस दिनों-दिन बढ़ते ही जा रहा है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के सामने इन जिलों में संक्रमण की संख्या को रोकना चुनौती साबित हो रहा है। हाल ही में आइसीएमआर नई दिल्ली और भुवनेश्वर ने दस जिलों के 20 विकासखंडों में सीरो सर्वे किया था। इसमें रायगढ़ को छोड़कर सभी पांच जिले शामिल थे। प्रत्येक जिले से लोगों की एंटीबाडी का पता करने के लिए 500-500 सैंपल लिए गए थे। रिपोर्ट में पता चला कि सबसे अधिक रायपुर में रिकार्ड 13.06 फीसद लोगों में एंटीबाडी मौजूद है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सीरो सर्वे इसलिए कराया गया था, ताकि पता किया जा सके कि वायरस से प्ररिरक्षा के लिए लोगों के शरीर में एंटीबाडी बन रही है या नहीं। सर्वे के परिणाम को देखते हुए जिलों में संक्रमण के मामलों को रोकने के लिए रणनीति तैयार की जा रही है। सीरो कनवर्जन कम लोगों में आने पर में यह माना गया कि सामाजिक स्तर पर संक्रमण का फैलाव अधिक नहीं हुआ है। इसमें कंटेनमेंट जोन एरिया पर अधिक फोकस और जांच की जानी है। वहीं जिन जगहों पर सीरो कनवर्जन अधिक मिला है, इसका अर्थ है कि अधिक से अधिक लोगों में एंटीबाडी बन रही है। इन क्षेत्रों रणनीति के हिसाब से जांच क्षमता बढ़ाई जानी है।