इंदौर। मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने राज्य शासन से पूछा है कि अस्पतालों में कोरोना पॉजिटिव मरीजों के शव की हो रही दुर्गति को रोकने के लिए उसने क्या इंतजाम किए हैं। समुचित उपाय के अभाव में कहीं शव चूहे कुतर जाते हैं तो कहीं शव कंकाल होने तक स्ट्रेचर पर ही पड़ा रहता है।
कोर्ट ने जवाब देने के लिए सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है। यह जवाब उस जनहित याचिका में मांगा गया है जिसमें शवों की दुर्गति और अस्पतालों की बदइंतजामी का मुद्दा उठाया गया है। याचिका में मामले की जांच के लिए हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाने की मांग भी की गई है।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले अन्नपूर्णा क्षेत्र स्थित यूनिक अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव बुजुर्ग की मृत्यु के बाद उनके शव को इस लापरवाही के साथ तलघर में रख दिया गया था कि उसे चूहे कुतर गए। इसके पहले एमवाय अस्पताल में एक शव नौ दिन तक स्ट्रेचर पर पड़े-पड़े कंकाल हो गया।
अस्पतालों की इन लापरवाहियों को लेकर याचिकाकर्ता प्रकाश जैन ने एडवोकेट निमेश पाठक के माध्यम से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। सोमवार को जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की युगल पीठ ने याचिकाकर्ता के तर्क सुनने के बाद शासन और अन्य पक्षकारों से दो सप्ताह में जवाब मांगा है।
कोरोना पॉजिटिव मरीज के साथ कम से कम एक स्वजन को सावधानी के साथ अस्पताल में रखा जाए ताकि मरीज की स्थिति और इलाज की जानकारी मिलती रहे।
कोरोना मरीज की मृत्यु के बाद पोस्टमार्टम करवाया जाए ताकि मृत्यु के वास्तविक कारणों का पता चल सके।
-कोरोना वार्डों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं और इसका सीधा प्रसारण बड़ी स्क्रीन पर बाहर किया जाए ताकि उनके स्वजन देख सकें।
-कोरोना मरीजों के शव के अंतिम संस्कार के लिए राज्य शासन को गाइडलाइन बनाने का आदेश दिया जाए।
-कोरोना से जुड़े मामलों की शिकायत के लिए एक सेंट्रल हेल्प डेस्क गठित की जाए।
-शवगृहों की व्यवस्था की जाए।
– शवों के मामले में लापरवाही बरतने वाले अस्पतालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।