नई दिल्ली निर्भया के दोषियों की फांसी का रास्ता बुधवार को साफ हो गया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका को खारिज कर दिया. इसके पहले दिल्ली सरकार और दिल्ली के गवर्नर जनरल ने दया याचिका खारिज करते हुए राष्ट्रपति को अपनी संस्तुति भेज दी थी. इसके आधार पर राष्ट्रपति ने पवन की भी दया याचिका खारिज कर दी. इसके पहले तीन अन्य दोषियों के सभी विकल्प खत्म हो चुके थे. पवन के पास क्यूरेटिव पिटीशन और क्लीमेंसी प्ली का विकल्प बाकी था, जो इसके साथ ही खत्म हो गया. अब इस माह के तीसरे हफ्ते किसी भी दिन चारों दोषियों को फांसी के फंदे पर चढ़ाने का रास्ता साफ हो गया है.
इसके पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने पवन की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट बाकी तीन दोषियों अक्षय, विनय और मुकेश की क्यूरेटिव अर्जी पहले ही खारिज कर चुका था. इन तीनों की दया याचिका भी राष्ट्रपति की ओर से खारिज की जा चुकी है. इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार 3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी की सज़ा के लिए डेथ वारंट जारी किया था. पवन ने याचिका में अपराध के समय खुद के नाबालिग होने का दावा करते हुए फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने का अनुरोध किया है. इस मांग को भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. वकील एपी सिंह ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में अर्जी दाखिल कर खुली अदालत में पवन की सुधारात्मक याचिका पर मौखिक सुनवाई का अनुरोध किया था.
सोमवार को चारों दोषियों की फांसी सजा फिर से टलने के बाद निर्भया की मां आशा देवी ने कहा था यह सिस्टम की नाकामी है. सरकार और कोर्ट से सवाल पूछने चाहिए. पूरी दुनिया देख रही है कि भारत में क्या हो रहा है. उन्होंने कहा कि फांसी की सजा बार-बार क्यों टल रही है. निर्भया की मां ने आगे कहा, ‘अदालत को दोषियों को फांसी देने के अपने आदेश पर अमल करने में इतना समय क्यों लग रहा है? डेथ वारंट जारी होने के बाद बार-बार इसे स्थगित करना हमारे सिस्टम की विफलता को दर्शाता है. हमारा पूरा सिस्टम अपराधियों का समर्थन करता है.