जनता का सवाल, स्वेक्षानुदान पात्र को या अपात्र को दिया जाता है
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गरीब जनता के पैसों को इस तरह खेला गया की जैसे- होली के समय में होली खेली जाती है, ठीक उसी प्रकार कोरिया जिले में मिडिया को मैनेज करके व सरकारी कर्मचारियों को व अपने पिता को तथा उद्योग पतियों को स्वेक्षानुदान दिया जा रहा है, तथा 50,60 वर्ष के उम्र के लोगों को शिक्षा एवं बिमारी के नाम पर दिया गया, क्या कोरिया जिले में सरकारी कर्मचारी एवं पत्रकारों को इतनी बड़ी बिमारी हो गई थी की स्वेक्षानुदान लेना पड़ा, क्या ये स्वेक्षानुदान लेने के पात्र हैं? जानकार सूत्रों के मुताबिक उधारी सामान खरीदकर स्वेक्षानुदान का चैक देकर पैसा पटाया गया, एक ही परिवार के व्यक्ति नाम से 25-25 हजार के चार चैक कैसे काटा गया इतनें बड़े घपले पर कलेक्टर कोरिया का ध्यान क्यों नहीं गया। स्वेक्षानुदान किसी भी गरीब एवं पात्र व्यक्ति को क्यों नहीें दिया गया। जैसे-हमारे हिन्दुस्तान में एक कहावत कही गई है- अंधे बांटे रेबड़ी, अपने अपने को दें अर्थात जो कहावत है वह सत्य मानी जा रही है, जो की अपनी जाति को 75 प्रतीशत् स्वेक्षानुदान दिया गया है। स्वयं का कहना है की स्वेक्षानुदान का मतलब जिसको चाहुं मै दुँ, तो जनता का कहना है की उस पैसे को अपने परिवार में ही क्यों नही बांट दिया गया। चर्चा का विषय यह है की अपने इर्द गिर्द के मुंसी एवं चट्टोंकार ही करोड़पति बने हुए हैं जो की पूर्व 70 वर्षों में नहीं हुआ, ऐसा ही रहा तो आने वाले समय में ऐसे ही व्यक्ति गरीब लोगो को घर से निकाल निकाल कर पिटेंगे, चुनाव के तारीख घोंषित से एक सप्ताह पूर्व घड़ी और पैसा क्यों बांटा गया?चुनाव आयोग इसकी जांचकर कार्यवाही करें जिसका 3सितम्बर 2018 को समाचार प्रकाशित किया गया।