दाऊचौरा खैरागढ़ वार्ड.16 निवासी रुख्मणी बाई देवांगन पति विजय देवांगन ने मरणोपरांत मानवता के लिए अपने शरीर के समस्त अंगदान व देहदान करने का संकल्प लिया है। उन्होंने शिक्षक दंपती रूपेश कुमार देवांगन व विजयलक्ष्मी देवांगन की प्रेरणा से शिक्षक दंपती के साथ मेडिकल काॅलेज राजनांदगांव जाकर देहदान की सभी औपचारिकताओं को पूरा कीं।
43 वर्षीय रुक्मणी देवांगन ने स्वयं देहदान का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि हमारा शरीर छूटने के बाद शरीर के काम आने वाले अंग आंखें गुर्दे ब्रेन पार्ट सहित अन्य अंग जरूरतमंद या असहाय व गरीब लोगों की जान बचाने के काम आएं और उसके बाद उनके शरीर संस्थान में प्रशिक्षण करने वाले प्रशिक्षु डाॅक्टरों के प्रशिक्षण में काम आए। उन्होंने कहा कि यह शरीर मृत्यु और दाह संस्कार के बाद केवल राख का ढेर मात्र रह जाता है।