रायपुर। केंद्र सरकार ने आम जनता को बैंकिंग सेवा से जोड़ने के लिए पांच साल पहले प्रधानमंत्री जनधन योजना शुरु की थी। पांच साल बाद योजना का उद्देश्य पूरा होता नहीं दिख रहा है। बैंकों ने जीरो बैलेंस के नाम पर खाते तो खोल दिए थे। अब बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के कुल एक करोड़ 45 लाख 99455 जनधन खातों में से 45 फीसद खाते ठनठन गोपाल की स्थिति में हैं। 20 फीसद खाते ऐसे हैं, जिनमें बैलेंस तो जमा है लेकिन यह बैलेंस बैंकों में जमा रहने वाली मिनिमम बैलेंस से काफी कम है। खास बात यह भी जिन जनधन खातों में ज्यादा राशि है, वे पांच साल बाद भी एक्टिव नहीं हैं। नोटबंदी के दौरान इन जन-धन खातों का भारी दुरुपयोग किए जाने की शिकायत आयी थी। उस दौरान बहुत से लोगों ने कालाधन खपाने के लिए अपनी राशि दूसरों के जनधन खाते में डाल दिए थे। बाद में आयकर की नजर इन जनधन खातों पर पड़ी। इनमें लाखों रुपये जमा देखा गया तो हजारों की संख्या में जनधन खाते सीज कर दिए गए। इस संबंध में आयकर विभाग द्वारा अभी भी पूछताछ का क्रम जारी है।
वित्तीय लेनदेन का न होना भी सबसे बड़ी समस्या
बैंकिंग अधिकारियों का कहना है कि जनधन खातों की सबसे बड़ी समस्या यह आ रही है कि बहुत से खाते ऐसे हैं,जो पहले से ही दूसरे बैंकों में खुले हुए थे। इसके साथ ही दूसरी सबसे बड़ी कमी है कि नए खातों का एक बड़े हिस्से में वित्तीय लेनदेन नहीं होना। वित्तीय लेन-देन नहीं होने वाले खातों की संख्या भी 20 हजार से अधिक है।