पाटन रयाना गांव में स्थित पैतृक जमीन के बंटवारे का आदेश करने के लिए 18 हजार की रिश्वत पटवारी ने युवक से मांगी। उसने रिश्वत प्राइवेट व्यक्ति कोटवार के भतीजे को दिला दिए। रिश्वत की रकम जैसे ही प्राइवेट व्यक्ति ने ली। तभी लोकायुक्त टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया। महिला पटवारी वहां से भाग निकली। इस मामले में रिश्वत की रकम में हिस्सा बांट करने में नायब तहसीलदार का नाम भी सामने आया है। डीएसपी लोकायुक्त जेपी वर्मा ने बताया कि पाटन रयाना निवासी अनिल पटेल (30) ने 20 नवंबर को लोकायुक्त कार्यालय पहुंचकर शिकायत की थी कि उसकी गांव में पैतृक जमीन है। जिसका हिस्सा बंटवारा होना है। जमीन में बंटवारे के लिए उसने तहसील पाटन कार्यालय में रयाना की पटवारी हल्का नंबर 9 निशा चौधरी को आवेदन दिया था। लेकिन पटवारी निशा यह काम करने के लिए 20 हजार रुपए रिश्वत की मांग कर रही है। वहीं इस रकम में नायब तहसीलदार गौरव पांडे का भी हिस्सा होने की बात कह रही है। नायब तहसीलदार के पास कटंगी के साथ पाटन का भी प्रभार है वहीं बात अब 18 हजार रुपए में तय हुई है। जिसमें से 15 हजार रुपए नायब तहसीलदार गौरव पांडे के होंगे और बाकि 3 हजार रुपए पटवारी निशा चौधरी रखेंगी। रिश्वत की रकम 27 नवंबर को देना तय हुई है। डीएसपी श्री वर्मा ने बताया कि शिकायत मिलने पर निरीक्षक मंजू करण तिर्की, आरक्षक दिनेश दुबे, आरक्षक अमित गावडे, आरक्षक शरद पाठक, आरक्षक ड्रायवर राकेश विश्वकर्मा और महिला आरक्षक लक्ष्मी रजक के साथ सुबह 12 बजे से ही पाटन तहसील कार्यालय में पहुंच गए थे लेकिन महिला पटवारी निशा किसी काम से गई थी वहीं नायब तहसीलदार गौरव पांडे भी कार्यालय नहीं आए।
पटवारी निशा जब दोपहर 2 बजे तक अपने कार्यालय नहीं पहुंची, तो शिकायतकर्ता ने दोपहर लगभग 2 बजे उन्हें फोन किया। फोन पर आरोपित पटवारी ने कहा कि वह गांव के कोटवार को रुपए दे दें। अनिल ने जब पूछा, तो लोकायुक्त टीम ने उसे कार्यालय में ही रुपए देने की बात कही। अनिल ने फोन पर कहा कि वह इंतजार कर रहा है कार्यालय आने के बाद ही रुपए देगा। इसके बाद पटवारी निशा ने उसे कुछ देर रुकने के लिए कहा। आरोपित पटवारी निशा शाम लगभग पौने 5 बजे अपने कार्यालय पहुंची और उसने अनिल को बुलाया। अनिल ने जैसे ही पटवारी निशा की ओर रुपए बढ़ाए उसने कक्ष में ही बैठे पाटन बिस्वा गांव के कोटवार का भतीजे महेंद्र चढ़ार (27) को रुपए देने के लिए कहा। अनिल ने महेंद्र के हाथ में 18 हजार रुपए दिए और बाहर निकल गया। लेकिन महेंद्र तत्काल निकलकर बाहर चला गया। लोकायुक्त की टीम ने महेंद्र का पीछा किया और उसे कुछ ही दूर में गिरफ्तार किया। जिसके पास से रिश्वत के 18 हजार रुपए जब्त किए गए। वहीं संदेह होने पर पटवारी निशा मौके से भाग निकली। लोकायुक्त टीम ने उसकी कई जगह तलाश की, लेकिन वह नहीं मिली। जानकारी में पता चला है कि पटवारी निशा रांझी में रहती है। डीएसपी श्री वर्मा ने बताया कि आरोपित महेंद्र ने पूछताछ में बताया कि वह पटवारी निशा के लिए काम करता है। उनके रिश्वत के रुपए वह ही लेता है। इसके बाद रुपए का बंटवारा होता है। आरोपित पटवारी निशा और नायब तहसीलदार गौरव पांडे की तलाश की जा रही है। पूछताछ में और भी कई खुलासे होने की संभावना है।