रायपुर। छत्तीसगढ़ नगरीय निकायों और पंचायतों में 30 से 40 फीसदी एपीएल राशन कार्ड(APL Ration Card) डंप पड़े हैं। 60 फीसद कार्ड तो हितग्राही ले गए हैं, लेकिन बचे हुए राशन कार्ड को हितग्राहियों के घर तक पहुंचाने की व्यवस्था करनी पड़ रही है। नगरीय निकायों (Chhattisgarh Municipal Corporations) और पंचायतों को राशन कार्ड पहुंचाने के लिए अलग से अमला लगाना पड़ा है। हालांकि, कार्ड वितरण में पार्षद भी सहयोग कर रहे हैं, क्योंकि नगरीय निकाय चुनाव (Chhattisgarh Local Body Election) नजदीक है। पूर्ववर्ती सरकार ने 2012 में सामान्य वर्ग के परिवारों का राशन कार्ड बनाने और उन्हें प्रतिमाह 15 किलो चावल देने की व्यवस्था शुरू की थी।
अप्रैल 2015 को एपीएल कार्ड समाप्त कर दिए गए थे। चुनाव 2018 के घोषणापत्र में कांग्रेस ने वादा किया था कि सत्ता में आने पर वह सार्वभौम सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सामान्य परिवारों का भी राशन कार्ड बनाएगी। कांग्रेस सरकार ने 65 लाख बीपीएल और एपीएल परिवारों का राशन कार्ड बनाने का लक्ष्य रखा। इसमें 8.25 लाख एपीएल कार्ड शामिल हैं। खाद्य अकिारियों का कहना है कि साढ़े छह लाख से अकि एपीएल कार्ड प्रिंट कराकर नगरीय निकायों और पंचायतों में भेजे जा चुके हैं। इर, नगरीय निकाय अकिारियों का कहना है कि वार्ड कार्यालयों और जोन कार्यालयों के माध्यम से एपीएल कार्ड का वितरण किया जा रहा है, लेकिन अब एपीएल परिवार के लोग कार्ड लेने नहीं आ रहे हैं। नगरीय निकाय चुनाव के चलते पार्षदों और पार्षट टिकट के दावेदारों ने वार्ड में घूम-घूमकर सम्पन्न् परिवारों को भी आवेदन भराया और उसे जमा किया। अब कार्ड बनकर आ गया है, तो सम्पन्न् परिवार के लोग कार्ड लेने नहीं आ रहे हैं। खाद्य विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह ने बचे हुए कार्ड के वितरण की व्यवस्था करने के निर्देश निकाय व पंचायत अकिारियों को दिए हैं।