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प्रदेश में बीई (BE) करने वाले छात्रों की संख्या में हर साल इजाफा…

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भोपाल। प्रदेश में हिंदी माध्यम से बीई करने वाले छात्रों की संख्या में हर साल इजाफा हो रहा है। आलम यह है कि पिछले तीन सालों के भीतर करीब 41 हजार छात्रों ने हिंदी माध्यम से इंजीनियरिंग करने के लिए एडमिशन लिया है। ऐसा तब है जब अंग्रेजी माध्यम से ही इंजीनियरिंग करने वाले छात्रों के लिए रोजगार की संभावना बेहद कम है तो हिंदी माध्यम से इंजीनियरिंग करने वाले छात्रों के लिए तो रोजगार की संभावना न के बराबर रह जाती है। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि हिंदी माध्यम से इंजीनियरिंग करने वाले छात्रों के लिए यह डिग्री सिर्फ कागज का टुकड़ा भर है। रोजगार मिलने की संभावना नहीं है। प्रदेश सरकार ने तीन साल पहले हिंदी में इंजीनियरिंग कराने की शुस्र्आत की थी। इसका मकसद था हिंदी को बढ़ावा देना। इसके लिए सरकार ने प्रदेशभर के तकनीकी संस्थानों को बीई के लिए संबद्धता देने वाले राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से हिंदी में इंजीनियरिंग की शुरुआत की थी।

इसके लिए हिंदी में बीई का सिलेबस तैयार कराया और ऑल इंडिया कॉउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन से मान्यता ली गई थी। वर्तमान में प्रदेश में करीब बीस प्राइवेट कॉलेजों में हिंदी माध्यम से बीई कराया जा रहा है। आरजीपीवी के आंकड़ों के मुताबिक जो हिंदी माध्यम से इंजीनियरिंग करने वालों में 95 फीसदी छात्र ऐसे हैं, जिनकी कक्षा बाहरवीं तक की शिक्षा भी हिंदी माध्यम से ही हुई है। 40 हजार छात्रों में से 38 हजार छात्र ऐसे हैं, जिनकी स्कूल की शिक्षा हिंदी माध्यम से हुई है। हिंदी में इंजीनियरिंग करने पिछले तीन साल में करीब 40 हजार छात्रों ने एडमिशन लिया है, जबकि अंग्रेजी माध्यम से इंजीनियरिंग करने के लिए इस अवधि में करीब 85 हजार छात्रों ने एडमिशन लिया है। हिंदी को बढ़ावा देने के मकसद से ही प्रदेश सरकार ने अटल बिहारी हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। हिंदी विश्वविद्यालय ने हिंदी माध्यम से बीई कराने के लिए सिलेबस तैयार कर अनुमोदन के लिए एआईसीटीई को भेजा था। लेकिन एआईसीटीई ने इस सिलेबस को मान्य करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद हिंदी विश्वविद्यालय में हिंदी में इंजीनियरिंग शुरू ही नहीं हो पाया था।

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