रायपुर. हर रिश्ता मजबूत डोर से बंधा होता है। कहते हैं कि मूल धन से प्यारा ब्याज होता है यानी अपनी संतान से ज्यादा उनके बच्चे अजीज होते हैं। दादा-दादी हों या नाना-नानी इन पर जान छिड़कते हैं। इन पर जरा सी भी आंच बर्दाश्त नहीं करते। फिर जब सवाल जान बचाने का हो तो अपनी जान तक दांव पर लगा देते हैं। ऐसी ही सच्ची कहानी है रायपुर में रहने वाली एक नानी की। नानी ने अपने छह माह के नाती के लिए अपना लिवर डोनेट कर दिया। करीब महीनेभर पहले फोर्टिस हॉस्पिटल मुंबई में हुआ यह लिवर ट्रांसप्लांट सफल रहा है।ये देश में इतनी कम उम्र में हुए गिनती के लिवर ट्रांसप्लांट में से एक है। हॉस्पिटल के लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. स्वप्निल शर्मा कहते हैं कि हमारे लिए जान बचाना एक मुहिम थी, जो सफल रही।
मैं उन सभी डॉक्टर्स, स्टाफ, सोशल मीडिया के जरिए मुहिम का हिस्सा बने लोगों का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने राशि डोनेट की। जानकारी के मुताबिक छह माह का पीयूष बाल गोपाल हॉस्पिटल में भर्ती था। उसकी स्थिति गंभीर थी। तभी डॉ. स्वप्निल ने उसे देखा, परिवार को लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी। परिजनों ने हां तो जरूर कह दिया, लेकिन खर्च करीब 20 लाख रुपये था। डॉक्टर ने पीयूष को मुंबई रेफर करवाया। परिवार के सभी सदस्यों की जांच हुई, जांच में नानी का ब्लड ग्रुप मिल गया। वे डोनेशन को एक बार में राजी हो गईं। अब सवाल था कि 20 लाख का बंदोबस्त कहां से हो। बहुत ही साइलेंटली डॉक्टरों के सोशल मीडिया के चंद ग्रुप में बच्चे की जान बचाने को लेकर एक मुहिम चलाई गई। हॉस्पिटल ने इलाज से लेकर दवाओं तक में छूट दी। ट्रांसप्लांट सफल रहा। सूत्रों के मुताबिक लाइव डोनेशन, कैडेवर डोनेशन को लेकर सरकारी नियम बने हुए हैं, लेकिन जब तक प्रक्रिया होती, जान पर बन आती। स्पेशल अनुमति लेकर ट्रांसप्लांट किया गया।