नई दिल्ली। त्योहारी सीजन या फिर शादियों का, आजकल ऑनलाइन शॉपिंग और विंडो शॉपिंग का क्रेज शहरों से गावों तक नजर आता है। लेकिन यह क्रेज धीरे-धीरे एक बीमारी का रूप लेता जा रहा है। यह दावा किया है एक मार्केट रिसर्च कंपनी ने। अपनी रिसर्च में कंपनी ने तो यहां तक आशंका जताई है कि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले कुछ सालों में ऑनलाइन शॉपिंग को एक मानसिक बीमारी घोषित करना पड़ सकता है। । त्योहारी सीजन या फिर शादियों का, आजकल ऑनलाइन शॉपिंग और विंडो शॉपिंग का क्रेज शहरों से गावों तक नजर आता है। लेकिन यह क्रेज धीरे-धीरे एक बीमारी का रूप लेता जा रहा है। यह दावा किया है एक मार्केट रिसर्च कंपनी ने। अपनी रिसर्च में कंपनी ने तो यहां तक आशंका जताई है कि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले कुछ सालों में ऑनलाइन शॉपिंग को एक मानसिक बीमारी घोषित करना पड़ सकता है।
ऑनलाइन शॉपिंग के मामले में पिछले कुछ में भारतीय बाजार में ने जो रफ्तार पाई है, उससे ग्राहकों को निश्चित तौर पर खरीदारी के बेहतर विकल्प चुनने में मदद मिली है। मगर जानकार इसे दूसरे एंगल से देखते हैं और उनका मानना है कि सवा अरब से ज्यादा आबादी वाले इस देश में ऑनलाइन शॉपिंग एक बुरी लत की शक्ल लेती जा रही है।अग्रणी मार्केट रिसर्च फर्म गार्टनर ने ऑनलाइन खरीदारी के खतरों के प्रति लोगों को आगाह किया है। कंपनी ने यह भी आशंका जताई है कि जिस तरह डिजिटल माध्यम में गलत तरीके से खरीद-फरोख्त का हो रही है, उसको देखते हुए 2024 तक विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लयूएचओ) को इसे “एडिक्टिव डिसऑर्डर” यानी बुरी लत वाला विकार घोषित करना पड़ेगा।
रसर्च के बाद फर्म ने अपनी भविष्यवाणी में कहा है कि ऑनलाइन रिटेलर्स अपनी आपसी स्पर्धा और ग्राहकों को अपनी तरफ आकर्षित करने के जो तरीके अपना रहे हैं, उससे लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। गार्टनर की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑनलाइन रिटेलर जिस तरह लोगों को निशाना बनाकर क्षमता से अधिक खरीदारी करने के लिए मजबूर कर रहे हैं, उससे लाखों लोगों को वित्तीय तनाव से गुजरना पड़ेगा। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि ऑनलाइन रिटेलर्स खरीदारों को रिझाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे लोग उनका आसान शिकार बन रहे हैं और वहन क्षमता से अधिक खर्च कर रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप कर्ज बढ़ेगा और लोग दिवालिया भी होंगे। इसका सीधा असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ेगा। डिजिटल मार्केटिंग में एआइ का प्रयोग जहां कई तरह की सहूलतें प्रदान कर रहा है, वहीं इसके बदले तमाम तरह की चुनौतियां भी पेश कर रहा है। इसके बढ़ते उपयोग से व्यापारिक एकाधिकार बढ़ने की संभावनाएं भी जताई जाती रही हैं।