- हरिवंश राय बच्चन को ‘दो चट्टानें’ के लिए मिला साहित्य अकादमी पुरस्कार
- तेजी को थियेटर का शौक, नाटक में लेडी मैकबेथ का किरदार भी निभाया
आज फिल्मी दुनिया के महानायक अमिताभ बच्चन का जन्मदिन है. आइए, जानते हैं उनके पिता हरिवंश राय बच्चन और मां तेजी बच्चन से जुड़ी वो 10 बातें, जो शायद आपको न पता हो.
1. अमिताभ बच्चन की मां का नाम तेजी बच्चन था. बताते हैं कि तेजी बच्चन और इंदिरा गांधी बहुत अच्छी दोस्त थीं. तेजी बच्चन एक सोशल एक्टिविस्ट के रूप में सक्रिय थीं. वो कम समय में इलाहाबाद में जाना-पहचाना चेहरा बन गई थीं.
2. तेजी बच्चन ने कवि हरिवंश राय बच्चन से शादी की थी. वो हरिवंश राय बच्चन की दूसरी पत्नी थीं. तेजी बच्चन के दो बेटे अमिताभ और अजिताभ बच्चन हैं. साल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या से पहले तक दोनों के बीच काफी घनिष्ठ संबंध रहे.
3. तेजी बच्चन को थियेटर और प्ले का काफी शौक था. बताते हैं कि एक बार उन्होंने नाटक में लेडी मैकबेथ का किरदार भी निभाया था. तेजी को 1973 में फिल्म फाइनेंस कॉरपोरेशन का अध्यक्ष बनाया गया. फिर साल 2007 में 93 साल की उम्र में तेजी बच्चन ने मुंबई के लीलावती अस्पताल में अंतिम सांस ली.
4. बता दें कि जब अमिताभ का जन्म हुआ था तब कविवर सुमित्रानंदन पंत, हरिवंशराय के साथ उन्हें देखने नर्सिंग होम गए थे. बताते हैं कि अमिताभ का नाम उन्होंने ही रखा था. उन्होंने नवजात शिशु की तरफ इशारा करते हुए कवि बच्चन से कहा कि देखो तो कितना शांत दिखाई दे रहा है, मानो ध्यानस्थ अमिताभ.
5. उनकी मां से जुड़ा एक किस्सा और है कि जब ढाई साल के अमिताभ अपने माता-पिता के साथ नाना के घर मीरपुर जा रहे थे. तब लाहौर रेलवे स्टेशन पर मां तेजी टिकट लेने गई और अमित का पिता से हाथ छूट गया था. अमिताभ किसी तरह अपने पेरेंट्स से वापस मिल पाए.
6. अमिताभ बच्चन की मां तेजी शादी से पहले अपना सरनेम सूरी लगाती थीं. वो एक सिख परिवार से थीं, उनके पिता का नाम सरदार खजान सिंह था. लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को सरदार की तरह नहीं पाला.
7. 11 अक्टूबर 1942 का वो दिन जब अमिताभ बच्चन का जन्म होने वाला था, तब उनके पिता हरिवंश राय बच्चन ने अपने मन की स्थिति को पूरी रात लिखा था. उसकी कुछ लाइनें इस तरह हैं कि रात को मैंने एक विचित्र स्वप्न देखा. मैंने देखा कि जैसे चक वाला हमारा पुश्तैनी घर है.
8. उन्होंने लिखा था कि उसमें पूजा की कोठरी में बैठे मेरे पिता आंखों पर चश्मा लगाए सामने रेहल पर रामचरितमानस की पोथी खोले मास पारायण के पांचवें विश्राम का पाठ कर रहे हैं.
9. हिंदी कवि हरिवंशराय बच्चन ने अमर रचना मधुशाला लिखी. ये रचना साहित्य जगत की भी नवीनतम कृति मानी जाती है. अमिताभ ने इसके बारे में कहा था कि जब कभी भी वह खुद को मुश्किल या हताशा में पाते हैं, तो मधुशाला की पंक्तियां गुनगुनाने लगते हैं.
10. हरिवंश राय बच्चन की कृति ‘दो चट्टानें’ को 1968 में हिंदी कविता का साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया. इसी साल उन्हें सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार और एफ्रो एशियाई सम्मेलन के लिए कमल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. बिड़ला फाउंडेशन ने उनकी आत्मकथा के लिए उन्हें ‘सरस्वती सम्मान’ दिया. उन्हें 1976 में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से भी नवाजा गया.