कोरिया : रजामंदी यानी आपसी सहमति..! जिला सत्र न्यायालय बैकुंठपुर ने एक ऐसे विषय पर लघु फिल्म तैयार की है, जो आज के युवा ही नहीं बल्कि हर परिवार के लिए एक सीख है, सबक है और समझ से भरपूर है।
एक नादानी जीवनभर पछतावा
करीब 20 मिनट की इस फ़िल्म को देखने के बाद, एक बारगी दर्शकों को सोचने को मजबूर करेगी। सोचने के लिए इसलिए क्योंकि जिस उम्र में लिखने, पढ़ने, कैरियर बनाने और एक जिम्मेदार नागरिक बनने की नींव मजबूत होता है, तो वहीं यह नाजुक उम्र भी होते हैं, जिसमे एक नादानी, एक लापरवाही, एक गलतियां से जीवन भर पछतावा करने के अलावा कुछ नहीं बचता।
न्याय सबके लिए फ़िल्म में जहाँ वकीलों की दलील सुनने पर मन आक्रोश से भर जाएगा तो सिर्फ अपराध बोध के कारण मन मे दया उतपन्न भी होता है, लेकिन न्यायालय तो न्याय के लिए है। न्यायालय का ध्येय वाक्य ‘न्याय सबके लिए’ है। ऐसे में न गुस्सा काम आएगा और न ही दया..! यहाँ सिर्फ न्याय ही काम आएगा। इंसाफ काम आएगा।
जानकारियों के आभाव ख़ौपनाक कदम
छोटे-छोटे जानकारियों के आभाव में किस कदर किशोरावस्था में ही लड़कियां- लड़के, ख़ौपनाक कदम उठा लेते हैं, जो स्वयं के लिए, परिवार के लिए, समाज के लिए नुकसानदेह साबित होते हैं और पछतावा के अलावा कुछ नहीं। लेकिन कानून अपने नियम से बंधे होने के कारण न्यायालय, इंसाफ देने को तैयार रहती है।
गंभीर अपराध के संबंध में जागरूक करना
पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री आनंद कुमार ध्रुव के मार्गदर्शन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बैकुंठपुर के द्वारा लैंगिग अपराध से संबंधित लघु फिल्म ‘रजामंदी 18 वर्ष से कम’ तैयार की गई है।
इस फिल्म का मुख्य उद्देश्य आम लोगों को फिल्म के माध्यम से इस गंभीर अपराध के संबंध में जागरूक करना है।
राम गोस्वामी (राम पुरी) निर्देशक व एम.ए. फिल्म एन्ड थियेटर एम.जी.ए.एच.वी., वर्धा, महाराष्ट्र के बैनर में बने इस फिल्म के छायांकन, सम्पदन सह निदेशक प्रवीण तिवारी है तो बैकुंठपुर के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विनय कुमार प्रधान, न्यायिक मजिस्ट्रेट मोहन सिंह कोर्राम मार्गदर्शन में व सहनिर्माता वीरेंद्र सिंह सचिव विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रयास से यह लघु फिल्म तैयार की गई है।
सबक, सीख के साथ समझ विकसित करेगी
फ़िल्म ‘रजामंदी 18 साल से कम’ यूट्यूब पर प्रसारित है। इसका लिंकhttps://youtu.be/_2fKvpUjq2I है, इसे हर वर्ग को देखना, समझना चाहिए! किशोरों या युवाओं के लिए यह फ़िल्म एक सबक, सीख के साथ समझ भी विकसित करेगी। इस फ़िल्म के हर कलाकार ने बखूबी अभिनय किया है ऐसा लगता है, यह कलाकार मानो रंगमंच के मंझे हुए कलाकार हो।