Home छत्तीसगढ़ जशपुरनगर. पर्यटकों के लिए लकड़ी से बने कॉटेज—

जशपुरनगर. पर्यटकों के लिए लकड़ी से बने कॉटेज—

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जशपुरनगर। जिले में पर्यटन के विकास को लेकर इन दिनों तेजी से काम किया जा रहा है। इसी के तहत पर्यटन विभाग ने टूरिस्ट सर्किट योजना के तहत जिले में ट्रायबल टूरिस्ट कॉटेज निर्माण के लिए 8 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है।

इसका निर्माण कटनी गुमला राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित ग्राम बालाछापर में किया जा रहा है। कलेक्टर निलेश कुमार महादेव क्षीरसागर ने बताया कि इस कॉटेज में पर्यटकों को जिले के पहाड़ी कोरवा, उरांव सहित अन्य जनजातियों की जीवन शैली के अनुरूप आवासीय माहौल में रहने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

इस कॉटेज में लकड़ी से निर्मित कमरे, पर्यटकों के लिए विशेष तौर से तैयार किए जा रहे हैं। पर्यटकों को इस कॉटेज में जनजातिय समाज से जुड़े विशेष पकवान और उनके द्वारा तैयार की जाने वाली सामग्री भी उपलब्ध कराई जाएगी। कलेक्टर ने इस पूरे योजना की जानकारी देते हुए बताया कि बालाछापर मे कॉटेज के आसपास 20 एकड़ के जमीन मालिक किसानों को चाय और कॉफी उत्पादन से जोड़ने का प्रयास भी किया जा रहा है।

इससे इस कॉटेज की सुंदरता भी निखरेगी और किसानों को भी आर्थिक लाभ हो सकेगा। इस कॉटेज को तैयार करने का काम इन दिनों बालाछापर में तेजी से किया जा रहा है। कॉटेज निर्माण का कार्य अंतिम दौर में पहुंच गया है। वहीं ओडिसा से शिल्पी,पत्थर की मूर्तियों को तराशन का काम तेजी से कर रहे हैं।

मूर्तियां, कॉटेज के विशाल प्रवेश द्वार में स्थापित किया जाएगा। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर जशपुर जिले में पर्यटन के विकास के लिहाज से ट्रायबल टूरिस्ट कॉटेज को महत्वपूर्ण माना जा रहा है, लेकिन कॉटेज तैयार होने के बाद इसके संचालन की बड़ी चुनौती जिला प्रशासन के सामने होगी।

इससे पहले ऐसी ही दो योजनाएं जिले में फ्लाप हो चुकी है। एक योजना जिले के बगीचा ब्लॉक के पंड्रापाठ में पर्यटन विभाग द्वारा ही कोरवा कॉटेज के नाम से बनाया गया था। यह कॉटेज अधूरा पडा हुआ, खण्डहर में तब्दील होता जा रहा है। वहीं कुनकुरी के मयाली के समीप स्थित वन विभाग का कॉटेज भी दो बार चालू हो कर तालों में कैद हो चुका है।

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