भगवान श्रीकृष्ण रोहिणी नक्षत्र में इनकी पूजा करने से समृद्धि में वृद्धि होती है
जन्माष्टमी का महत्व व इसका अर्थ काफी व्यापक है। भगवान श्रीकृष्ण भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को हुआ था। इसलिए इसे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कहते है। भगवान श्रीकृष्ण रोहिणी नक्षत्र में हुए थेे इसलिए रोहिणी नक्षत्र का काफी महत्व है। रोहिणी नक्षत्र को माने तो यह 24 अगस्त को है। इसलिए जन्माष्टमी 24 को ही मनायी जानी चाहिए।
जन्माष्टमी का त्यौहार हिंदुओं द्वारा दुनिया भर में बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है पौराणिक कथाओं के मुताबिक श्री कृष्ण भगवान विष्णु के सबसे शक्तिशाली मानव अवतारों में से एक है। भगवान श्रीकृष्ण हिंदू पौराणिक कथाओं में एक ऐसे भगवान है जिनके जन्म और मृत्यु के बारे में काफी कुछ लिखा गया है। जब से श्रीकृष्ण ने मानव रूप में धरती पर जन्म लिया तब से लोगों द्वारा भगवान के पुत्र के रूप में पूजा की जाने लगी।
भगवत गीता में एक लोकप्रिय कथन है. जब भी बुराई का उत्थान और धर्म की हानि होगी मैं बुराई को खत्म करने और अच्छाई को बचाने के लिए अवतार लूंगा। जन्माष्टमी का त्यौहार सद्भावना को बढ़ाने और दुर्भावना को दूर करने को प्रोत्साहित करता है। यह दिन एक पवित्र अवसर के रूप में मनाया जाता है जो एकता और विश्वास का पर्व है।
सामान्यतया जन्माष्टमी पर बाल कृष्ण की स्थापना की जाती है। श्रीकृष्ण के श्रृंगार में फूलों का विशेष महत्व है। इस दिन झूले पर भी बाल गोपाल को बैठाया जाता है। इस वर्ष यह रोहिणी नक्षत्र में सूर्य सिंह राशि में चंद्रमा उच्च राशि में वृषक में होंगे। इस शुभ घड़ी में अमृत सिद्धि योग सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है।