ब्राह्मण समाज एक ऐसा समाज है। जिसे हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा माना जाता है। इनकी पूजा की जाती है। इन्हें भगवान का दूसरा रुप माना जाता है। घर में किसी भी तरह की पूजा.पाठ हो तो इनको ही बुलाया जाता हैं। इन्हे शास्त्रों का ज्ञाता माना जाता हैं। इनका जीवन बहुत ही सात्विकता से बीतता है। शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करना। इसमें लहसुन और प्याज जैसी चीजों का इस्तेमाल नहीं करते हैं।
हमारे दिमाग में ये बात तो जरुर आती है कि आखिर ये लोग लहसुन और प्याज का सेवन क्यों नहीं करते हैं। इसके पीछे क्या कारण हैं। इसके पीछे शास्त्रों आयुर्वेद और वैज्ञानिक अपना.अपना मत कहते है। इसमें कितनी सच्चाई हैं ये बत नहीं कही जा सकती हैं। आज हम आपको अपनी खबर में इससे जुडे कुछ पहलुओं के बारे में बताएंगे कि आखिर ब्राह्मण लहसुन और प्याज से परहेज क्यों करता है
आयुर्वेद के अनुसार खाद्य पदार्थो को तीन भागों में बांटा गया है जो इस प्रकार है.
तामसिक इसमें जुनून क्रोध अंहकार और विनाश के गुण आते है।
सात्विक जिसके अंदर शांति संयम पवित्रता और मन की शांति के गुण आते है
राजसिक इसमें जुनून और खुशी के गुण आते है।
इसके अनुसार ब्राह्मण लोग लहसुन और प्याज अंहिसा के चलते नहीं खाते है क्योंकि यह सब पौधे राजसिक और तामसिक रूप में बंटे हुए है। जिनका मतलब है कि जुनून और अज्ञानता में वृद्धि करते है। क्योंकि यह जमीन पर कई जीवाणुओं की मौत का कारण बनते है। इसलिए इसके सेवन पर मना ही है।
सनातन धर्म के अनुसार
प्याज और लहसुन जैसी सब्जियां प्रकृति प्रदत्त भावनाओं में सबसे निचले दर्जे की भावनाओं जैसे जुनून उत्तजेना और अज्ञानता को बढ़ावा देती हैं जिस कारण अध्यात्मक के मार्ग पर चलने में बाधा उत्पन्न होती हैं और व्यक्ति की चेतना प्रभावित होती है। इस कारण इनका सेवन करने की मनाही है।
शास्त्रों के अनुसार
इसके अनुसार माना जाता है कि लहसुन प्याज और मशरूम ब्राह्मणों को खाना मना है क्योंकि आमतौर पर ये अशुद्धता बढ़ाते हैं और अशुद्ध खाद्य की श्रेणी में आते हैं। ब्राह्मणों को पवित्रता बनाए रखने की जरूरत होती है क्योंकि वे देवताओं की पूजा करते हैं जोकि प्रकृति में शुद्ध होते हैं।
साथ ही कुछ लोगों का मानना है कि लहसुन और प्याज अशुद्ध खाद्य की श्रेणी में आते हैं। इसका सेवन करने से आपके व्यवहार में बदलाव का कारण बन जाता है। इसलिए इसका सेवन नहीं करना चाहिए।