क्या भगवान अपने भक्तों के कल्याण के लिए स्वयं प्रकट होते हैं एक सजीव व्यक्ति की तरह क्या मूर्तियों का भी आकार बढ़ता है। क्या चमत्कार वास्तविक होते हैं। ये कुछ ऐसे अबूझ प्रश्न हैं, जिनका जवाब कोई नहीं जानता, लेकिन हर धर्म के अनुयायी कभी न कभी ऐसे चमत्कारों से कथित तौर पर रूबरू जरूर होते हैं। कभी किसी वृक्ष में उन्हें अपने ईष्ट नजर आते हैं, तो कभी प्रसाद अपने आप गायब हो जाता है। इस बार आस्था और अंधविश्वास की अपनी प्रस्तुति में हम ऐसे ही एक मंदिर में पहुंचे। अब इस मंदिर से जुड़ा यह चमत्कार आस्था है या कोरा अंधविश्वास, यह आप ही तय कीजिए।
मंदिर में प्रतिष्ठित लिंग काफी कुछ उज्जैन के महाकाल के शिवलिंग की तरह ही लग रहा था… बस यह बात अजीब थी कि जहां महाकाल का शिवलिंग क्षरण के कारण लगातार घट रहा है वहीं लोगों का दावा है कि यहां का शिवलिंग लगातार बढ़ रहा है। आस्था और अंधविश्वास की इस कड़ी में हम आपको रूबरू करवा रहे हैं देवास के महाकालेश्वर मंदिर से। इस मंदिर से हजारों लोगों की आस्था जुड़ी है। मंदिर के आसपास रहने वाले और यहां नियम से दर्शन करने आने वाले लोगों का कहना है कि यहां का शिवलिंग न सिर्फ स्वयंभू है, बल्कि हर साल इसकी ऊंचाई लगातार बढ़ रही है, जो अपने आप में एक चमत्कार है। इस चमत्कार की बात सुनकर हमने मंदिर से जुडे़ हुए लोगों से संपर्क किया। जब हम मंदिर में पहुंचे तो कुछ श्रद्धालु शिवभक्ति में लीन थे। इन लोगों को विश्वास था कि यहां मांगी गई मनौतियां जरूर पूरी होंगी। मंदिर में प्रतिष्ठित लिंग काफी कुछ उज्जैन के महाकाल के शिवलिंग की तरह ही लग रहा था। बस यह बात अजीब थी कि जहां महाकाल का शिवलिंग क्षरण के कारण लगातार घट रहा है, वहीं लोगों का दावा है कि यहां का शिवलिंग लगातार बढ़ रहा है।
मंदिर के समीप रहने वाले राधाकृष्ण मालवीय का कहना है कि वे बचपन से इस शिवलिंग की आराधना करते आए हैं। उन्होंने खुद इस शिवलिंग को आकार बदलते अर्थात बढ़ते हुए देखा है। इनका दावा है कि हर शिवरात्रि के दिन यह शिवलिंग एक तिल के आकार का बढ़ जाता है। शुरू में तो किसी को भी पता नहीं चला था, परंतु चार-पांच साल बाद सभी को अहसास होने लगा कि शिवलिंग लगातार बढ़ रहा है। अब इसकी ऊंचाई लिंग के मूल रूप की तुलना में काफी बढ़ चुकी है।