अब ट्रैफिक में भी नंबर वन बनेगा इंदौर, रोड पर उतरीं एयर होस्टेस, संभाली ट्रैफिक की कमान
सफाई की तरह ही ट्रैफिक में भी नंबर वन आने की कवायद में जुट गया है। शहर का ट्रैफिक सुधारने और वाहन चालकों को जागरूक करने में जुटी पुलिस ने शुक्रवार को अनूठा प्रयोग किया। शहर के लोग यह देख हैरान रह गए कि एक-दो नहीं, कई एयरहोस्टेस सड़क पर उतरीं और अपने ही अंदाज में वाहन चालकों को यातायात का पाठ पढ़ाया।
एयर होस्टेस ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट के 70 छात्र-छात्राओं ने रीगल, विजय नगर, रेडिसन सहित कई चौराहों पर वाहन चालकों को ठीक उसी अंदाज में नियमों की समझाइश दी, जिस तरह विमान में दी जाती हैं। कृपया अपना बेल्ट बांध लीजिए… दो पहिया वाहन चालक अपने सिर पर हेलमेट पहन लीजिए… आदि निर्देश लोगों को सुनाई दिए।
उन्होंने वाहन चालकों को सीट बेल्ट बांधने, हेलमेट पहनने और वाहन चलाते समय मोबाइल का उपयोग नहीं करने की सलाह दी। शहर में यह कवायद शनिवार को भी जारी रहेगी। दो दिनी अभियान का उद्देश्य लोगों में बिना सख्ती किए नियमों का पालन करने की आदत डालना है।
ट्रैफिक संभाल रही इंस्टीट्यूट की एक छात्रा दीक्षा ने बताया कि मेरी इस बात में काफी रुचि है कि मैं ट्रैफिक पुलिस की तरह लोगों को राहत दिखाऊं। हम लोगों को यातायात नियमों के बारे में समझाइश दे रहे हैं कि वे धीरे चलें और यातायात नियमों का पालन करें। लोग हमारी बातें ध्यान से सुनते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं सुनने के बाद भी रूल्स फॉलो नहीं करते। हम लोगों को हेलमेट लगाने की सलाह भी दे रहे हैं।
यदि पुलिस की यह पहल रंग लाती है तो लोगों को ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं से भी निजात मिलेगी और वे समय पर घर और दफ्तर पहुंच सकेंगे। ध्यान देने वाली यह है कि शाम 5 से लेकर रात को 9 बजे तक एमजी रोड समेत शहर के प्रमुख मार्गों पर जगह-जगह जाम जैसे हालात रहते हैं। वाहन रेंगते हुए चलते हैं।
इंदौर पुलिस एक अनूठी पहल,यहां नहीं बनेगा चालान : सुव्यवस्थित यातायात के लिए इंदौर पुलिस एक अनूठी पहल भी करने जा रही है। पुलिस रीगल से पलासिया चौराहे के हिस्से को खुशनुमा रोड बनाएगी। यहां न चालान बनेगा, न दंड दिया जाएगा। निजी कंपनी के वॉलेंटियर चालकों को नियमों का पालन करने की समझाइश देंगे।
यहां भी इंदौर नंबर वन : एक दैनिक समाचार की रिपोर्ट के मुताबिक इंदौर बेटियों के जन्म के मामले में भी प्रदेश में अव्वल आया है। 2018-19 में बेटियों के जन्म का औसत 983 रहा, जो कि 2017-18 की तुलना में 23 से ज्यादा है। इस सूची में राजधानी भोपाल सबसे निचली पायदान पर है।