Home देश वक्फ बोर्ड की सियासत व राजनितिक अदालती कार्यवाही पर नजर ?……………

वक्फ बोर्ड की सियासत व राजनितिक अदालती कार्यवाही पर नजर ?……………

80
0

हमारे हिन्दुस्तान का एक टुकड़ा जिसको पाकिस्तान के नाम से जाना जाता है। वहीं मुस्लिम और ईसाई कंट्रियों में कहीं भी वक्फ बोर्ड नहीं सुना गया। जो कि हमारे हिन्दुस्तान में एक वक्फ बोर्ड की लड़ाई जोरो पर पकड़े हुए है, जब वक्फ बोर्ड है तो सनातन बोर्ड बनना भी आवश्यक होता है पर हिन्दु धर्म में कुछ हड्डियां चुसने वाले पैदा हो गये है जो कि उनके सामने कोई जाति धर्म नहीं है। ऐसे भी नेतागण है जिनकी समाज में अपने जात से अन्य जात में शादी रचाए हुए है जो झगड़ा फैलाकर अपनी-अपनी रोटी सेक रहे है उनको देश से कोई प्रेम नहीं। बस यह लोग अपना परिवार को बढ़ावा देने के लिए राजनितिक कर रहे है।

लोगों में तरह-तरह की चचाऐं है कि, हिन्दुस्तान की आबादी में लगभग 70 प्रतिशत सनातन ही माने जाते है। तो वक्फ बोर्ड को जितना हक है उतना ही सनातन धर्म का होना चाहिए। पर कुछ समाज के वक्फ बोर्ड के नाम से करोड़ो रूपये का इंकम कर रहे है। ये उस समाज के लोगों को नहीं दिखता कि, दान की सम्पत्ति कोई व्यक्तिगत विशेष के लिए नहीं होती। कुछ मुसलमान वक्फ बोर्ड के विरूद्ध में भी है।

वहीं कोई भी कानून बनता है तो लोकसभा से बनता है। जब लोकसभा व राज्यसभा से कोई भी नियम पारित हो जाता है तो उसके बाद सर्वोच्च राष्ट्रपति होता है। जब राष्ट्रपति का सील व मोहर लग जाती है तो न्यायालय में जाना उचित नहीं है। पर जानकार सूत्र बताते है कि, ये विचार सोशल मीडिया उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ जी ने इस पर व्याख्या करते हुए संविधान के विपरित बताया गया है इससे कुछ राजनितिक नेता अपनी-अपनी रोटी व राजनितिक को चला रहे है। अगर इसको बढ़ावा दिया गया तो देश के लिए बड़ा घातक हो सकता है। इसमें समाज के नीचले लोगों को नुकसान होगा। क्या हिन्दुस्तान के स्वार्थी नेता एक और बटवारा चाहते है ? क्या राजनितिक इस्लाम धर्म से चलती है ? आज देखा जाये तो इस्लाम धर्म के लोग राजनितिक में अधिकांश लोग है जो कि एक अपवाद बनाकर बंागलादेश बनाना चाहते है। इस पर संविधान 368 धारा के अन्तर्गत राष्ट्रपति को अधिकार क्षेत्र बताया जाता है। यह समाचार आम जनता के विचारधाराओं द्वारा प्रकाशित किया जा रहा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here