Home कोरिया बैकुण्ठपुर/कोरिया : सच्च के साथ वशिष्ठ टाइम्स …………

बैकुण्ठपुर/कोरिया : सच्च के साथ वशिष्ठ टाइम्स …………

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मुख्यालय बैकुण्ठपुर में आये-दिन नये-नये अविष्कार होते जा रहे है जिसमें कुछ लोग दारू, गांजा, ब्राउंन शुगर, जूंआ एवं ब्याज का धंधा जोरो पर चला रहे है। बताया जाता है कि, कुछ लोग तो ऐसे ही पत्रकारिता के नाम पर ब्याज और अवैध धंधों का कारोबार चला रहे है। क्योंकि यह लोग अपने जात समाज को अपना आका समझते है। और समूह बना-बनाकर आये-दिन नये-नये अविष्कार कर रहे है। ऐसे लोगों से स्वच्छ छवी और ईमानदार व्यक्ति को अपना जान बचाना मुस्किल पड़ रहा है।

बता दें कि, बैकुण्ठपुर प्रशासन को वशिष्ठ टाइम्स के संपादक ने ऐसे दोहरे लोगों के बारे में बार-बार लिख कर व आॅडियों रिकाॅडिंग के माध्यम से अवगत कराया है परंतु जानकार सूत्र बताते है कि, पुलिस प्रशासन पैसे के बल पर सभी साक्षात्कार को दबा कर बैठे हुए है। इसी प्रकार राजस्व विभाग का मामला है। जो कि श्रीमान् सरगुजा आयुक्त के द्वारा निस्तार व तालाब में कार्य रोकने हेतु निर्देशित किया गया था पर लोगों में मानना है कि, राजस्व विभाग में न्याय नहीं पैसा चलता है। यहां तक कि, राजस्व विभाग में अधिवक्ता खड़े होने के लिए कतराते है। राजस्व विभाग के अधिकारी पद पर बैठे हुए यह भी ध्यान नहीं दे रहे है कि, एक आयुक्त के आदेशों का क्या एहमियत होता है परंतु बैकुण्ठपुर राजस्व विभाग में इसके विपरीत आयुक्त के आदेशों की धज्जियां उठाते हुए- आरआई, नायब तहसीलदार और पटवारी द्वारा तालाब का कोई ब्यौरा नहीं दिया गया। इससे प्रतीत होता है कानून पैसे के वजन से चलता है।

बता दें कि, संपादक राजस्व विभाग के संबंध को लेकर कलेक्टर महोदया जी से मिलने कई बार गये । पर सोचने वाली बात है कि, सच्चाई लिखने से वशिष्ठ टाइम्स को रोका जाये यह अच्छी बात नहीं। आज कुछ लोग अपना समूह बना-बनाकर अधिकारियों को विज्ञापन देकर फोटो चपका रहे है यहां तक कुछ लोग ऐसे भी है जो कि चैंनलों का डंडा पकड़कर अधिकारियों पर दबाव बना रहे। जो कि चौक चौराहों पर उनकी गाडियांे को देखा जा सकता है। यहां तक की कुछ सोसायटी मीडिया वाले अपने को संपादक बताने लगे है जबकि उनको यह भी नहीं मालूम कि, संपादक कहते किसे है ? प्रिंट मीडिया में जो संपादकीय लिखे जाते है उसे ही संपादक कहा जाता है। संपादक एक बड़े-से-बड़े चैनल वाला भी नहीं लिख सकता, पर आज कल के नई पीढ़ी के पत्रकार अपने समूह के आगे किसी को नहीं समझते।

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