छत्तीसगढ़ शासन के ग्राम पंचायतों में सचिव हड़ताल पर बैठे हुए है। जानकार सूत्र बताते है कि, इनकी मांग नहीं है बल्कि शासन के ऊपर अपना मनमानी दबाव बना रहे है। लोगों में चर्चाऐं है कि, छत्तीसगढ़ स्तर पर सचिवों के मुख्या को सोचना चाहिए कि, एक सचिव की वेतन लगभग 20-25 हजार मिलता है। तो ग्राम सचिव जो कि लगभग 18-20 लाख की कार, हजार रूपये का रोज पैट्रोल एवं अन्य खर्चे उनके साथ जुड़े हुए होते है। वह कहां से आता है ? सोचने वाली बात है कि, ग्राम सचिव ग्रामीणों के साथ न्याय कर रहा है या अन्याय ?
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जांच की जाये कि, इनका अलग से इंकम क्या है ? क्योंकि कुछ लोग सचिवों के मांगों को लेकर गलत अफवा फैला रहे है। क्योंकि अभी सभी कर्मचारी एवं ग्राम सचिव केवल मोदी की गारंटी लेकर आगे चलते है। यह नियम अनुसार मांग रखी गई है वहीं सविचों के द्वारा चल रहे हड़ताल का कोई मान्य नहीं है केवल दबाव बनाया जा रहा है। आज देखा जाये तो ग्रामवासी सचिवों व सरपंचों से त्रस्त हो चुके है। क्योंकि आज कल के जमाने में हर व्यक्ति पत्रकार बनता फिर रहा है। जो कि 100-200 रूपये दीजिए और जो चाहे न्यूज डलवा लिजिए वाला सिस्टम हो गया है।
लोगों की मांग है कि, राज्य शासन को चाहिए ग्राम पंचायतों की जांच कराये एवं साथ ही ग्राम सचिवों की भी जांच कराये कि, इनके पास आय से ज्यादा संपत्ति कहां से आई ? साथ ही जो भ्रट्राचार सचिव है उन पर कार्यवाही करके दूसरी नियुक्ति दिलाई जाये। जिससे शासन की कार्यप्रणाली पर उंगली न उठ सके। नही ंतो यह कुशासन की श्रेणी में आ रहा है। इसकी विस्तार से जानकारी आगे दी जायेगी। यह समाचार आम जनता के विचारधाराओं द्वारा प्रकाशित किया जा रहा है।