मुख्यालय बलरामपुर नौ रेंजर का क्षेत्र है। कुछ ऐसे भी रेंजर है जो कि पूर्व से ही अपने व्यवहार से सुर्खियों पर छाये हुई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, वह अपने रेंज क्षेत्र से बाहर रहती है क्योंकि उनका आदिवासी क्षेत्र से वासता है ज्यादा बोलने पर वह अपने जाति को सामने पेश कर देती है। जिससे आगे वाले व्यक्ति बोल न सके।
मिली जानकारी के अनुसार, पूर्व में भी आशा मिंज रेंजर कुनकुरी में रह चुकी है। वह जशपुर में भी कार्यभार संभाले हुए थी। जानकार सूत्र बताते है कि, उनके कार्यकलापों की जांच किया जाये तो फर्जी बिलों का भी कारनामें सामने आ सकते है। क्योंकि वह अपने रेंज क्षेत्र में कभी-कभी जाती है। अब गर्मी का समय है जंगल में आग लगने की भी सम्भावना ज्यादा होती है, कहीं-कहीं तो आग लगना चालू भी हो गया है जो कि आस-पास के लोगों द्वारा महुआ इक्कठे करने के लिए आग लगा देते है ताकि महुआ इक्कठा करने में आसानी हो। इसी से हरे-भरे वृक्षों को नुकसान हो सकता है। पर जानकर सूत्र बताते है कि, बलरामपुर में रेंजरों व डीएफओ का एक महौल है कि, वह केवल शासकीय गाड़ी से अपने रेंज क्षेत्र से डेली आना-जाना कर रहे है। यह कौन सा नियम है ? बताया जाता है कि, अपने परिवार में भी आने-जाने के लिए शासकीय डिजल व पेट्रोल का उपयोग किया जा रहा है। जिसमें अपने परिवारों के निजी उपयोग के लिए भी शासकीय गाड़ी का उपयोग किया जा रहा। बलरामपुर डीएफओ अपने शक्ति का उपयोग करें ताकि शासन के पैसे का दूरूपयोग न हो। साथ ही यह जानना महत्वपूर्ण है कि रेंजरों की नदारदगी के पीछे क्या कारण है और इसके लिए कौन जिम्मेदार है?