छत्तीसगढ़ में महापौर चुनाव को देखते हुए नजर आ रहा है कि, कांग्रेस पार्टी की चर्चाऐं सुर्खियों पर छायी होती है पर केवल नदारद रहने के। कहीं कांग्रेस के पूर्व विधायक नदारद है तो कहीं समाचार पत्रों व चैनलों में जिनका बखान होता था कि, अभी काका जिंदा है। तो वही काका अभी कहां नदारद है ? जैसे छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष, प्रतिपक्ष नेता एवं पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सभी नेताओं ने महापौर चुनाव में बिना जिम्मेदारी का रोल पेश किया है। इससे यह प्रतीत होता है कि, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस विलुप्त की ओर जा रही है। जो पूर्व सत्ता में कांग्रेस के मंत्री कहलाने वाले है वही लोग चर्चाओं मंे है कि, पांच साल में भ्रष्टाचारी करके बैठे हुए है। जैसे की इनको सांप सुग गया हो। अपने आगे नेतागण दूसरो को कुछ नहीं समझते थे कांग्रेस सत्ता में चमचों का बल्ले-बल्ले खुब चली है।
बड़ी विडम्बना की बात है कि, छत्तीसगढ़ में भाजपा लगभग 10 महापौर सीटों में परचम लहराया है। या तो भाजपा का परिश्रम है या कांग्रेस की नाकामी है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि, कांग्रेस के हार की जिम्मेदारी पूर्व मुख्यमंत्री बघेल जी, प्रतिपक्ष नेता, प्रदेश अध्यक्ष, टीएस सिंहदेव या सभी जिले के कांग्रेस अध्यक्षकों को अपने पद का स्तीफा दे देना चाहिए। यह समाचार आमजनता के विचारधाराओं से प्रकाशित किया जा रहा है।