छत्तीसगढ़ के धान खरीदी केन्द्रों में संगठनों के अध्यक्षकों द्वारा अपने मन-मुताबिक किसानों से धान खरीदने को मजबूर करने की बात जोरो पर चल रही है। जानकार सूत्र बताते है कि, जिसमें संगठन के अध्यक्षको ने लगभग 4-4 लाख रूपये धान खरीदी प्रबंधक से लेकर उनके मन-मुताबिक ही नियुक्ति करायी गयी। सोचने वाली बात है कि, एक धान खरीदी केन्द्र से लगभग 50 लाख से 1 करोड़ तक का शोषण किया गया। किस तरह शोषण किया गया ? यह हर व्यक्ति जानता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जब किसान धान लेकर केन्द्रों में जाता है तो उन किसानों को प्रताड़ित किया जाता है और कहा जाता है कि, तुम्हारा धान पुराना है, नमी है, खखरा है इत्यादि बोलकर किसानों को प्रताड़ित किया गया है। और यहां तक कि, किसानों का धान बोरा में पलटने, तौलने, सिलाई एवं धान चढ़ाने तक का पैसा लिया जाता गया। लोगों में चर्चा है कि, एक-एक बोरे के हिसाब से लगभग 16-20 रूपये लिया गया है। परंतु प्रशासन एक दिखावा रहा। और उनके द्वारा लोगों को भ्रमित किया गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, अध्यक्षको, प्रबंधकों एवं ऊपर तक के अधिकारियों को लगभग 25 लाख रूपये तक का बंटवारा हुआ है। इससे लोगों के द्वारा अनुमान लगाया जा रहा है कि, धान खरीदी केन्द्र के प्रबंधकों एवं संगठन अध्यक्षकों द्वारा साल में लाखों से लेकर करोड़ों तक निकाला जाता होगा।
पत्रकारों की भी हिस्सेदारी
धान खरीदी केन्द्रों के समय एक ब्लाॅक से लेकर जिला तक और जिले से लेकर संभाग तक नयी-नयी पीढ़ी के पत्रकार भी पैदा हो जाते है। अब सोचने वाली बात है कि, आज प्रबंधकों द्वारा 500-500 रूपयों की गड्डियां लेकर घुम रहे है और तो और पंजीयक अधीक्षकों द्वारा माला-माल और करोड़ों के आसामी हो चुके है।
जानकार सूत्र बताते है कि, धान खरीदी केन्द्रों के प्रबंधकों द्वारा किसानों का धान लगभग 41 किलो 800 ग्राम खरीदा गया। वही एक धान खरीदी प्रबंधक महिला के द्वारा बताया गया कि, बड़े क्षेत्रों में धान खरीदी के हिसाब से प्रबंधक को लगभग 25 लाख रूपये तक बच जाता है। जब एक महिला प्रबंधक के द्वारा सच्चाई को बेखुबी ढंग से बताया गया, इससे साबित होता है कि, किसानों के साथ कितना धोखा व लूट हुआ है। सोचने वाली बात है कि, जब जांचकर्ता ही उसमें हिस्सा ले रहे है तो जांच करेगा कौन ? इस संबंध में धान खरीदी के प्रबंधकों एवं अध्यक्षकों के नाम आगे बताये जायेगें।