राज्य शासन व प्रशासन के द्वारा दबाववश एवं पैसों के बल पर निस्तार व तालाबों का अस्तित्व खत्म किया जा रहा है जैसे- आयोध्या में तालाब को कृषि भूमि बनाकर बेचा गया। जानकार सूत्र बताते है कि, उस उपरांत तालाब का समतलीकरण कराकर प्रशासन के द्वारा नगर निवेश, नगर पालिका व प्रशासन के सहयोग से भवन निर्माण कार्य चालू हो गया, जिसमें भवन के लिए लोन भी आबंटित हो गया। जब मामला उजागर हुआ तो राज्य शासन द्वारा भवन पर बुलडोजर चलाया गया। एक और घटना बिलासपुर का है जहां सरकंडा के एक कुंड को लेकर प्रशासन के सहयोग से भूमि समतलीकरण करते हुए जमीन का नामांतरण करा लिया गया। जिसमें किसी का हस्तक्षेप नहीं बताया जा रहा है कि, किसके आदेश पर समतलीकरण हुआ ?
इसी प्रकार कोरिया जिले के बैकुण्ठपुर मुख्यालय में निस्तार एवं तालाब की भूमि जिसके पूर्व रिकाॅर्ड दस्तावेजों में अंकित है कि, यह तालाब निस्तार के लिए सभी को हक है उस दस्तावेज को विलुप्त करने के लिए बहुत कुछ भू-माफियों के द्वारा किया गया, पर कोरिया प्रशासन द्वारा इस बात को बताने में टाल-मटोल किया जा रहा है जो कि बताया जाता है कि, पूर्व नजूल भूमि को किस प्रकार, किसके आदेश पर तालाब को कृषि भूमि में नामांतरण किया गया ? जबकि नजूल व तालाब की भूमि किसी को बेचा नहीं जा सकता। पर कोरिया प्रशासन से बार-बार निवेदन किया जा रहा है कि, कृषि भूमि को बनाने के लिए किसने आदेश दिया ? पर आज तक कोई जानकारी नहीं दिया गया, पर सोचने वाली बात है तालाब का रजिस्ट्री होना एवं तालाब में भवन निर्माण के निर्देश एस.डी.एम. महोदया ने कैसे दे दिये ? इसी के साथ-साथ नगर निवेश के द्वारा भी निर्देश दे दिया गया। और निस्तार व तालाब को कागजों से विलुप्त कर दिया गया। यहां तक कि, एक प्राइवेट जमीन में नगर पालिका द्वारा रोड भी बना दिया गया। यह कितना बड़ा हेरा-फेरी का मामला है। और कागजों पर पैसों के बल पर सभी दस्तावजों पर तालाब का कोई उल्लेख नहीं। भू-माफियों का बहुत बड़ा खेल इस समाचार के द्वारा खोला गया है। वही भू-माफियों द्वारा ऐसे गैंग का खुलासा करने से उनके गुंडो द्वारा धमकीयां दी जा रही है। अभी भी भू-माफियों द्वारा प्रशासन पर दबाव बनाकर अपना कार्य सूचारू रूप से चलाना चाहते है। अब देखना यह है कि, पैसे का बल चलता है या सत्ता का बल ?