जिला बैकुण्ठपुर मुख्यालय में आये-दिन पूर्व सामूहिक तालाब बाय सागर के चर्चाऐं चौक-चौराहों पर मिलती है। जिसमें पूर्व के मेंटनेंस रिकाॅर्ड के हिसाब से निस्तार तालाब को किस अधिकारी ने पैसे के बल पर कृषि भूमि में परिवर्तित कर आम जनता का जीना हराम कर दिया है ? लोगों का कहना है कि, जो गलती पूर्व के अधिकारियों द्वारा किये गये है, इसमें वर्तमान कलेक्टर की जिम्मेदारी बनती है कि, उस त्रुटीपूर्ण रिकाॅर्ड को सुधारे। जानकार सूत्र बताते है कि, एक गलती को लेकर नगर निवेश अनुविभागीय दण्डाधिकारी एवं नगर पालिका के द्वारा डायवर्सन नहीं किया गया है जो कि गलत है। दूसरी बात जिस अधिकारी ने तालाब को कृषि भूमि में परिवर्तित किया है उसके ऊपर एफआईआर दर्ज क्यों नहीं ? जबकि पूर्व रिकाॅर्ड के हिसाब से नजूल निस्तार तालाब बताया गया है। उसके बावजूद अनन्न-फनन्न में रिकाॅर्ड दूरस्त कराया गया। जो कि खसरा नं. 43 में साफ-साफ लिखा हुआ है कि, यह तालाब जानवरों के पानी पीने, नहाने एवं निस्तार के लिए है। बावजूद कोरिया प्रशासन शांत क्यों ?
बता दें कि, राजस्व विभाग की न्याय प्राणली के आधार पर कोई भी अधिवक्ता केस नहीं लड़ना चाहता। जानकार सूत्र बताते है कि, राजस्व विभाग में न्याय नहीं पैसा चलता है पैसा है तो अन्याय को ही साथ देते है। आज निस्तार व तालाब की भूमि को लेकर तालाब के सभी रहवासी भू-माफियों से त्रस्त हो चुके है। वही कोरिया प्रशासन को बार-बार लिखने के बाद भी आज कई महीनों से जांच चल रही है। पर आरआई, पटवारी व समस्त अधिकारीगण जांच के दौरान अवैध निर्माण पर रोक नहीं लगा पा रहे। आवेदक त्रस्त होकर सरगुजा संभाग आयुक्त महोदय जी के शरण में गये। उसके बाद भी कोरिया प्रशासन अन्याय होते देख रहा है। न्याय के लिए सार्वजनिक तालाब के भीटा पर रहने वाली जनता इंतजार कर रही है कि, न्याय मिलेगा या नहीं ?