एमसीबी/04 अक्टूबर 2024/ हमारी धरती पर पाए जाने वाले सभी जीव-जंतु पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के महत्वपूर्ण घटक होते हैं। पशुओं का संरक्षण न केवल पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक है, बल्कि उनके जीवन और अस्तित्व को सुरक्षित रखने के लिए भी अनिवार्य है। इसी दृष्टिकोण के साथ हर साल 4 अक्टूबर को विश्व पशु कल्याण दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य पशुओं के अधिकारों और कल्याण की दिशा में जागरूकता बढ़ाना है द्य ताकि सभी जानवरों को एक बेहतर जीवन मिल सके। इस विश्व पशु कल्याण दिवस की शुरुआत 1931 में फ्लोरेंस, इटली में हुई थी। यह दिवस अंतरराष्ट्रीय पशु संरक्षण सम्मेलन के दौरान मनाया गया । जहां इस दिन को वैश्विक स्तर पर पशुओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए समर्पित किया गया। इस दिन का चयन संत फ्रांसिस ऑफ असीसी के सम्मान में किया गया जिन्हें पशुओं और प्रकृति का संरक्षक माना जाता है। संत फ्रांसिस का मानना था कि हर जीवित प्राणी को सम्मान और दया का हकदार है। इस दिन की शुरुआत के साथ पशु कल्याण पर जागरूकता फैलाने का कार्य एक वैश्विक आंदोलन के रूप में शुरू हुआ जो समय के साथ और भी व्यापक रूप से स्वीकार्य हुआ।
भारत में पशु संरक्षण की जरूरत और चुनौतियां
भारत जैव विविधता के मामले में एक समृद्ध देश है। यहां के जंगल, पहाड़, समुद्र और घास के मैदान अनगिनत प्रकार की पशु प्रजातियों का घर हैं। भारतीय संस्कृति में भी पशुओं को हमेशा से विशेष स्थान दिया गया है, चाहे वह धार्मिक रूप से हो या समाजिक रूप से इसके बावजूद तेजी से हो रहे शहरीकरण, औद्योगिकीकरण और वनों की कटाई के कारण पशुओं के लिए खतरे बढ़ रहे हैं। भारत में आज कई प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर हैं और इनके संरक्षण के लिए प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।
केंद्र और राज्य सरकार की पहल
भारत सरकार ने पशु कल्याण और संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसमें केंद्र और राज्य स्तर पर कई योजनाएं और नीतियां लागू की गई है, जिनका मुख्य उद्देश्य पशुओं के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 :- यह अधिनियम भारत में पशुओं के प्रति होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए बनाया गया है। इसके तहत पशुओं पर अत्याचार करने वालों को दंडित किया जाता है। इसके तहत किसी भी प्रकार की क्रूरता जैसे मारपीट, अत्यधिक भार ढोना, भूखा रखना आदि को अपराध माना गया है। यह कानून पशुओं के प्रति मानवीय व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 :- भारत सरकार द्वारा लागू किया गया यह कानून वन्यजीवों और उनके आवासों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। इसके तहत कई राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य और संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना की गई है जहां वन्यजीव सुरक्षित रह सकें। इस कानून के अंतर्गत संरक्षित और संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची तैयार की जाती है जिनकी रक्षा के लिए सरकार विशेष प्रबंध करती है।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना:– केंद्र सरकार ने देशी गाय/ भैंस/ बकरी की नस्लों को सुधारने और उनके संरक्षण के लिए “राष्ट्रीय गोकुल मिशन” की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य देशी नस्लों की रक्षा करना और दूध उत्पादन को बढ़ावा देना है। इसके अंतर्गत गोशालाओं और गोवंशों की देखरेख के लिए विशेष केंद्र स्थापित किए गए हैं। इस प्रकार छत्तीसगढ़ सरकार भी पशुओं के कल्याण उनकी सुरक्षा और उनके विकास के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं चला रही है। ये योजनाएं मुख्य रूप से कृषि, डेयरी उद्योग, मवेशियों की देखभाल और वन्यजीव संरक्षण के लिए हैं। राज्य सरकार के ये प्रयास न केवल पशुओं के जीवन को बेहतर बनाने के लिए हैं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आजीविका सुधारने और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भी हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र सरकार की “राष्ट्रीय गोकुल मिशन” योजना के अंतर्गत देशी नस्ल के गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं। इसके साथ ही “गोकुल ग्रामों की स्थापना” छत्तीसगढ़ में कई गोकुल ग्रामों की स्थापना की गई है जहां देशी नस्ल की गायों को संरक्षित और संवर्धित किया जा रहा है। गायों की बेहतर स्वास्थ्य के लिए विशेष पशु चिकित्सालय, पशु मोबाइल यूनिट और चिकित्सा सुविधाएं स्थापित की गई हैं। इसके साथ ही “कृत्रिम गर्भाधान” उन्नत तकनीकों के माध्यम से कृत्रिम गर्भाधान के द्वारा उच्च गुणवत्ता वाली नस्लों को उत्पन्न करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
भारत में प्रमुख वन्यजीव और उनकी स्थिति :- भारत में विभिन्न प्रकार के पशु और पक्षी पाए जाते हैं जो यहाँ की जैव विविधता का एक प्रमुख हिस्सा हैं। इन वन्यजीवों की विभिन्न प्रजातियाँ जंगलों, घास के मैदानों, पहाड़ों और जल निकायों में पाई जाती हैं। भारत के हर राज्य में विशेष प्रकार के वन्यजीव पाए जाते हैं जिनमें कुछ विशिष्ट हैंरू जैसे रू. बाघ, हाथी, गैंडा, शेर, हिमालयी भालू के अलावा कई अन्य पशु भी पाए जाते है ।
विलुप्ति के कगार पर प्रजातियाँ :- भारत में कई पशु प्रजातियां आज विलुप्ति होने के कगार पर हैं जिनमें यह प्रमुख हैं जैसे रू- बंगाल टाइगर, हिम तेंदुआ, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, गंगा डॉल्फिन, लाल पांडा के साथ-साथ कई अन्य जानवर आज विलुप्त होने के कगार में है ।
इस “विश्व पशु कल्याण दिवस” सिर्फ एक प्रतीकात्मक दिन नहीं है बल्कि यह हमें याद दिलाता है कि पशु संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है। वर्तमान समय में तेजी से बदलते पर्यावरणीय और सामाजिक परिस्थितियों के बीच पशुओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की सुरक्षा अनिवार्य है। भारत सरकार और राज्य सरकारें इस दिशा में कई योजनाओं और कानूनों के माध्यम से कार्य कर रही हैं लेकिन आम जनता की भागीदारी भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके लिए आवश्यक है कि हम सभी अपने स्तर पर पशु कल्याण और संरक्षण के लिए जागरूक हों और आवश्यक कदम उठाएं। यह जिम्मेदारी न केवल सरकारों और संस्थाओं की है बल्कि हर नागरिक का यह कर्तव्य बनता है कि वह पशुओं के अधिकारों की रक्षा में योगदान दे। हम अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करके भी पशु कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं जैसे कि पशुओं के प्रति क्रूरता न करें, वन्यजीवों के संरक्षण में सहयोग दें, और पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखें।
पशु क्रूरता के खिलाफ आवाज उठाने और संरक्षण के प्रयासों में शामिल होने के लिए हमें सरकारी नीतियों का समर्थन करना चाहिए और अपने आसपास के लोगों को भी इस दिशा में जागरूक करना चाहिए। स्कूलों, कॉलेजों और सामाजिक संस्थाओं को भी पशु संरक्षण के महत्व पर जोर देना चाहिए और इसके लिए कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए।