कोरिया जिला को सरगुजा संभाग से अलग हुए लगभग 25 वर्ष हो चुके है। इन वर्षों में अनेकों कलेक्टर आये और चले गये। परंतु आवेदक ने बाईसागर तालाब को लेकर उन कलेक्टरों द्वारा कोई भी कार्यवाही या संज्ञान में नहीं लिया।
वही कलेक्टर महोदया (श्रीमती चंदन त्रिपाठी) जो कि अनुभवि और कानून की ज्ञाता है। जिन्होंने कोरिया जिले को एक मिसाल दिया है, इनके द्वारा बाईसागर तालाब को संज्ञान में लिया है, और बाईसागर तालाब की जांच हेतु टीम गठित की है। अब देखना यह है कि, आरआई, पटवारी, तहसीलदार व एसडीएम कितनी सच्चाई कलेक्टर महोदया जी के समक्ष उपस्थित करेंगे ?
लोगों में चर्चाऐं है कि, जब विक्रेता द्वारा खुले आम पूर्व बाईसागर तालाब जो कि जानवरों के पानी पीने, नहाने व सार्वजनिक निस्तार की भूमि थी उसे कुछ अधिकारी पैसों के बल पर तालाब को कृषि भूमि में परिवर्तित कर दिये है तो इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि, कलेक्टर द्वारा गठित की गयी टीम में क्या हो सकता है ?
बता दें कि, जब किसी सार्वजनिक स्थान को परिवर्तित किया जाता है तो किसी समाचार पत्र में समाज को अवगत कराया जाता है ताकि किसी को इससे ऐतराज न हो, इसलिए इस्तेहार छापा जाता है। जो बाईसागर तालाब को कृषि भूमि में परिवर्तित करने से पहले किसी समाचार में नहीं छापा गया। चोरी-चोरी तालाब को कृषि भूमि मे घोशित कर दिया गया। ये मामला 420 का बनता है। जिसमें उस समय के जो भी अधिकारी व क्रेता विके्रता रहे, वह सभी अपराध की श्रेणी में आते है।
वही बैकुण्ठपुरवासियों का कहना है कि, बाईसागर तालाब पूर्व में एक शोभा एवं लोगों के लिए घुमने का एकमात्र स्थान था, जिसमें शाम को बैकुण्ठपुरवासी ठंडी-ठंडी हवा का लुप्त लेते थे। उस तालाब में सैकड़ो सागौन पेड़ थे, जिसकी लागत करोड़ों में आकी जा सकती है और हरे-भरे हर्रा के वृक्ष भी थे। जो कि भू-माफियों ने अपने स्वार्थ के लिए बैकुण्ठपुर की शोभा को समाप्त कर दिया।
बैकुण्ठपुर के लोग कोरिया कलेक्टर महोदया जी के संज्ञान से प्रभावित हुए है कि, अब बाईसागर तालाब के अस्तित्व को बचाया जा सकता है, इससे उत्साह की लहर नगरवासियों में है। बड़ी विडम्बना की बात है कि आज भी निस्तार की भूमि पर निर्माण चल रहा है। जितने भी लोग बसे हुए है सभी की जमीन भीट के नाम से रजिस्ट्री हुआ है। जानकार सूत्र बताते है कि, भूमाफियों ने 6 एकड़ के तालाब को 50 लाख में खरीदा था जो कि स्टाम डयूटी चोरी करने के कारण उस तालाब को 6 लाख में दर्शाया गया है। बताया जा रहा है कि, इस तालाब को लगभग 15-16 लोगों के द्वारा खरीदा गया है। जिसका डायवर्सन हुआ या नहीं हुआ ? परंतु निर्माण करने के निर्देश कैसे दे दिये गये ? और निर्देश दिया गया तो पैसे के बल पर दिया गया होगा, क्योंकि जमीन तो तालाब के नाम है।
बता दें कि, तालाब को कभी भी डायवर्सन नहीं किया जा सकता, क्योंकि व समाज सेवा के अन्तर्गत आता है। सूखाचार अधिनियम के अन्तर्गत किसी के घर का पानी का निकासी व निस्तार नहीं रोका जा सकता। परंतु तालाब क्रेता गुंडागर्दी के बल पर सभी कर रहे है अब देखना यह है कि, टीम जांच अधिकारी पैसे के बल पर पक्षपात तो नहीं करेंगे ? जांच जब सामने आयेगी तब पता चलेगा की पक्षपात हुआ है या नहीं। जांच आने पर आगे और प्रकाशित किया जायेगा।