सरगुजा संभाग में राजनेताओं का बाजार चर्चाओं में चल रहा है। बताया जा रहा है कि, पूर्व में लक्ष्मी राजवाड़े का जेठ के द्वारा एक इंस्पेक्टर को अपशब्दों का प्रयोग किया एवं साथ ही पुलिस कांस्टेबल नेताम जी के वर्दी सहित नेम प्लेट को भी खिंचा गया। जब नेता जी के जेठ चारों तरफ से बेपक्ष हारा हुआ माना तब सिर्फ नाम के लिए उसके ऊपर एफआईआर दर्ज हुआ। उसके बाद जानकार सूत्र बताते है कि, मामला को रफा-दफा भी कर दिया गया।
दूसरा मामला आपके बैकुण्ठपुर कोरिया जिले में एक आदिवासी महिला की है जिसमें मुंह बोले अध्यक्ष के लड़के ने अपने पिता के नाम पर धौस दिखाकर उस आदिवासी महिला को अश्लील शब्दों से गाली-गलौज किया। एवं उस आदिवासी महिला को बस्तर स्थानांतरण करवाने की धमकी भी दिया। साथ ही डिपो से लगभग 5 कोंटल जलाऊं लकड़ी ट्रेक्टर से लूट कर ले गया। यहां तक कि, डिपो के दरवाजा को भी तोड़ दिया गया।
लोगों में चर्चाऐं है कि, जिस राज्य का मुख्यमंत्री आदिवासी हो और जिस जिले का डीएफओ भी आदिवासी हो, ऐसे मुख्यमंत्री और डीएफओ को धिक्कार है। इन अधिकारी एवं नेताओं को केवल कुर्सी में चिपके रहना ही अच्छा लगता है। आदिवासियों को प्रताड़ित किया जा रहा है लेकिन कुर्सी से उठकर देखना ही नहीं चाहते।
बैकुण्ठपुर के आदिवासी डीएफओ को जब इस घटना के संबंध में मालूम हुआ तब उनके द्वारा अपनी वन विभाग के पूरे महिला समिति को निर्देशित किया कि, वह सभी बुधवार को महिलाओं की मीटिंग तुरंत बुलाई जाये, जिससे महिलाओं में शक्ति दिखी। जिससे उस आदिवासी महिला के आवाज में शामिल हुए। सभी महिलाऐं हिम्मत करके अपनी वन विभाग के सहयोगियों को लेकर चरचा थाने में पहुंची। जानकार सूत्र बताते है कि, उस आदिवासी महिला और पुलिस के ऊपर दबाव बनाया गया और एफआईआर दर्ज न करने को कहा गया। क्या आदिवासियों को स्वतंत्र रूप से जीने का अधिकार नहीं ? अब देखना यह है कि, आदिवासी डीएफओ क्या निष्कर्ष निकालती है।
अब देखना यह है कि, हमारे छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में आदिवासियों को प्रताड़ित किया जा रहा है इस पर शासन और प्रशासन एवं आदिवासी सामाज महिला के आवाज को बुलंद कर पायेगी और अपराधियों के ऊपर एफआईआर दर्ज करा पायेगें ? बता दें कि, जब सही समय आता है तो आदिवासी सामाज विलुप्त हो जाते है इससे साबित होता है कि, आदिवासी मुख्यमंत्री होते हुए भी ऐसे अपराधियों के ऊपर संरक्षण दे रहे है और उनके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं किया जा रहा है। ऐसे मंत्री को पद से हटाना चाहिए। ये आमजनताओं का विचारधाराऐं है।