बैकुण्ठपुर मुख्यालय में बैंकों की मनमानी देखने को मिल रही है जिसमें देखा जा रहा है कि, बैंकों द्वारा अपने तरीके से व अपने मनमुताबिक लोगों को लोन दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि, जो जितना कमिशन देता है उन्हें ही शाखा प्रबंधक द्वारा लोन दिया जा रहा। कुछ लोगों में इस बात की चर्चाऐं बनी हुई है कि, शाखा प्रबंधक को जो सही कागज लेकर खड़े रहते है उनको लोन नहीं देते, बल्कि जिसके पास कागज हो या न हो परंतु कमिशन दें उसी को लोन दिया जा रहा है। ये बैंक ब्रांच मेनेजरों की कमिशन कमाने का तरीका है। क्या सही लोन लेने वाला जो कि हाथ में कागज रखे हुए है वह लोन से वंचित रह जायेगा है ? हमारे समाज में आज भ्रष्ट्राचारी व कमिशनखोरी नश-नश में रम चुकी है। क्या शासन व प्रशासन आम जनता को इससे निजात दिला पायेगा ?