Home छत्तीसगढ़ स्वतंत्रता दिवस कहने को है पर कलमकारों के ऊपर आजादी की पाबंदी……………

स्वतंत्रता दिवस कहने को है पर कलमकारों के ऊपर आजादी की पाबंदी……………

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हमारे भारतवर्ष को आजाद हुए 78वीं वर्ष हो चुका है परंतु आज तक भारतवासी सुरक्षित नहीं है। हिन्दुस्तान के वासी भिन्न-भिन्न तरीकों से आजाद होने के लिए आवाजे उठा रहे है।

बता दें कि, कहने को भारत स्वतंत्र हुआ है पर देखा जाये तो ईमानदार कलमकार (पत्रकार) आज भी नेता, पुलिस व अधिकारियों के गुलाम है, क्योंकि उस व्यक्ति को सुरक्षा की जरूरत होती है जो स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकें। जैसे- हमारे हिन्दुस्तान में शुरू से ही परम्परा चली आ रही है जो आम जनता से जीत कर जाता है सरकार द्वारा उसकी सुरक्षा के लिए लाखों रूपये खर्च करती है, परंतु समाज के लोग ही देखते है कि, रक्षक ही भक्षक बनकर बैठे हुए है। जो कि, नेता हो या शासकीय अधिकारी जनता के ऊपर बगुला की तरह निगाहें बैठाये हुए है। तथा वही लो पल्लेदारी, रिक्शाचालक व अन्य छोटे कर्मचारियों को घिनौनी नजर से देखते है। वही नेता जनता के वोटो से करोड़ो के आसामी हो जाते है।

पूर्व से देखा जा रहा है कि, जो व्यक्ति राजनितिक में आया, वह करोड़ों का आसामी बना। और उसको शासन द्वारा सुरक्षा भी दिया गया। ये सोचने वाली बात है कि, जिस विधायक को मानदेय व भत्ता दिया जाता है उससे उस नेता का पेट नहीं भरता और कुछ ही दिनों में जिस पद का नेता होता है, उसी पद का दुरूपयोग करता है। पूर्व से ही देखा जाता रहा कि, ईडी द्वारा नेताओं व अधिकारियों पर छापा मारा गया, जिससे अरबों की सम्पत्ति मिली। ये रक्षक है या भक्षक ? और कहते है हम जनता की रक्षा करेंगे। जब देखा जाये तो नेताओं व अधिकारियों के चमचे लोग मौके का लाभ उठाते रहते है और करोड़ो का हेरा-फेरी करते रहते है। सोचने वाली बात है कि, ये लोग समाज सेवी है या देश भक्षक ?

बता दें कि, एक पत्रकार भष्ट्राचार का समाचार प्रकाशन करता है तब उसके विरूद्ध नेतागण, अधिकारी/कर्मचारी उस पर ढावा बोलने लगते है। जबकि सच्चे देशभक्त व समाज सेवी ईमानदार पत्रकार को कहा जाता है। जिसको शासन द्वारा कोई भी सुविधा व मानदेय नहीं दिया जाता। ऐसे ही पत्रकार भारत सरकार द्वारा सुरक्षा व मानदेय का हकदार है। पर सोचने वाली बात है कि, सोशल मीडिया व पोर्टल वालों ने अति कर दिया है जो न लिखना जानते है न पढ़ना। बस फेक न्यूज डालते रहते है। यहां तक कि, पत्रकारों में ऐसे लोग भी पैदा हो चुके है जो कि मुर्गा, दारू, सब्जी, ठेला व मार्दक पदार्थ भी बेचते है। यही नहीं पत्रकार में जो व्यक्ति पहले से लगा रहता है उसके सगे संबंधि भी पत्रकार बन गये है। भारत सरकार को चाहिए कि, पत्रकारों के ऊपर सुरक्षा कानून लागू बनाये अन्यथा छत्तीसगढ़ में करोड़ो के तादात पर पत्रकार पैदा हो जायेंगे। पत्रकारों की मांग है कि, ऐसे पत्रकारों को सुरक्षा कानून की पात्रता दिया जाये, जिसको पत्रकार के फिल्ड में 40-20 वर्ष का अनुभव हो। नही ंतो भारतवासी 1947 से पहले अंग्रेजो के गुलाम थे आज नेताओं व अधिकारियों के गुलाम हो जायेंगे।

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