बैकुण्ठपुर मुख्यालय में राजस्व विभाग द्वारा बड़ी लापवाही सामने आ रही है। जानकार सूत्र बताते है कि, आर.आई. व पटवारी का खुलेआम व्यापार चल रहा है। यहां तक कि, किसी जमीन में हरे-भरे पेड़ हो उसे विलुप्त कर दिया जाता है। लोगों का नजूल जमीन में मकान बने हुए है उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं किया जा रहा है। बताया जाता है कि, तालाब में हरे-भरे सागौन के पेड़ खड़े थे, जिससे राजस्व विभाग द्वारा कटवा दिया गया, ये किसके आदेश पर काटा गया ? और तालाब को कृषि भूमि आर.आई व पटवारी द्वारा कैसे बताया गया ?
मिली जानकारी के अनुसार, आर.आई. व पटवारी के कारण ओड़गी नाका (संजय नगर) का जमीन नाम किसी ओर का है और मकान कोई ओर बना कर रह रहा है। राजस्व विभाग के इस घोटाले के बारे में किसी को भी मालूम नहीं। इसी प्रकार तलवापारा में रोड के किनारे एक तालाब था जिसको भाट कर पेट्रोल पम्प बनाया गया। उसी प्रकार एक स्नातक विद्यालय के पास भी तालाब था उसको भी भाट दिया गया है जो कि शासकीय भूमि है। पर बताया जा रहा है कि, पटवारी व आर.आई के देख-रेख में एक प्राइवेट व्यक्ति के नाम चढ़ा दिया गया। लोगों में चर्चा है कि, जितने भी जमीनें भाटी गयी है वह सभी जमीन कृषि भूमि में चढ़ा दिया गया है। आज भी आर.आई व पटवारी के कारण उस जमीन पर विवाद चल रहा है। जानकार सूत्र बताते है कि, इसी प्रकार मैन रोड बाईसागरपार के यूनियन बैंक आॅफ इंडिया जहां पर स्थित है पूर्व में वहां भी तालाब था परंतु पटवारी, आर.आई, तहसीलदार और समस्त राजस्व विभाग के अधिकारियों ने लाखों रूपये लेकर उस जमीन को पटवाया। आज आर.आई व पटवारी करोड़ो के आसामी बन चुके है।
बता दें कि, भारत के संविधान सुप्रिम कोट के आदेशानुसार तालाब को भाटा नहीं जा सकाता। इसी प्रकार नियम की धज्जियां उठाने वाले बैकुण्ठपुर तहसीलदार को सरगुजा संभाग आयुक्त द्वारा आदेश 13/06/2024 को दिया गया था उस आदेश को लेकर बैकुण्ठपुर के आर.आई (शिवकुमार सिंह), पटवारी (संजय सूर्यवंशी) व नायब तहसीलदार मौके पर पहुंचे थे, परंतु आवेदक की एक भी बात नहीं सुनी गयी और सुखाचार अधिनियम धारा-4 की खुलेआम धज्जियां उठायी गयी और आवेदक के ओरी के सामने दिवाल खड़ा कर दिया गया, फिर भी सच्चाई लिखने में या प्रतिवेदन देने में नायब तहसीलदार, आर.आई. और पटवारी के हाथ कांप रहे है। क्योंकि आवेदक ने पैसा नहीं दिया और अनावेदक से पैसा लेकर सच्चाई नहीं लिखा गया। वही आज तक तहसीलदार महोदया द्वारा कोई भी आवेदक को राहत नहीं दिया गया। जिसकी जानकारी कोरिया कलेक्टर व एस.डी.एम. महोदया जी को भी बार-बार मौखिक रूप से बताया जा चुका है उसके बावजूद भी तहसीलदार द्वारा कोई भी कार्यवाही नहीं किया गया।
देखने वाली बात है कि, कोरिया जिले के माटीझरिया से बीरन सिंह द्वारा तीन हजार रूपये रिश्वत लेने का मामला कलेक्टर के जनदर्शन कार्यक्रम दिया गया है। जिसको दो महा हो गया, कोई भी कार्यवाही नहीं हुई। इससे यह प्रतीत होता है कि, आर.आई., पटवारी व बाबू सभी पैसे के बल पर काम करते है। परंतु एक आयुक्त के आदेश को भी नजर अंदाज कर देना बहुत बड़ी उपलब्धी कहलाती है। इससे ये पता चलता है कि, कानून विलुप्त होने की कागार में है।
अब देखना है कि, छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री (विजय शर्मा) व राजस्व मंत्री (टंकराम बर्मा जी) से इस संबंध में मोबाईल में बात हुआ था और उनके द्वारा आश्वासन दिया गया था आज दो माह हो गया है परंतु कब तक कार्यवाही होगी ? देखा जा रहा है कि, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अधिकारियों के ऊपर कार्यवाही करने में कोई भी रूची नहीं दिखाया जा रहा है। क्या छत्तीसगढ़ शासन आम जनता की मुसिबतों पर ध्यान न देकर, छत्तसीगढ़ के जनता को क्या संदेश देना चाहती है ? ये समाचार आमजनता के विचारधारा से लिखा गया है।