बैकुण्ठपुर मुख्यालय के तहसील कार्यालय में रिश्वत लेने का एक जीता-जागता प्रमाण पाया गया है। जिसमें तहसील कार्यालय के बाबू (अमृता गुप्ता) के द्वारा एक आदिवासी से 3000 रूपये लेने का जानकारी प्राप्त हुआ। अब देखना यह है कि, श्रीमान् कलेक्टर महोदय जी कार्यवाही करेंगे या नेताओं के दबाव में छोड़ देंगे।
लोगों में चर्चा है कि, जितने भी कांग्रेसी है महोदय जी से सटे हुए है और अपना काम निकाल रहे है। बेचारी भोली-भाली जनता के साथ में छला जा रहा है। क्योंकि कुछ सिरफिरे व्यक्तियों का विचारधारा ‘‘जहां बम वहां हम’’ अर्थात जहां पैसा दिखता है वही पहुंच जाते है। उनको केवल काम निकालने से मतलब है।
वही बताया जाता है कि, तहसील कार्यालय के बाबूओं द्वारा कहा जाता है कि, हमारा कोई भी किसी प्रकार का नुकसान नहीं हो सकता, क्योंकि हमारा राजनितिक दबाव तगड़ा है। जानकार सूत्र बताते है कि, बाबूओं द्वारा कहा जाता है कि, कोई भी कितना भी समाचार प्रकाशित करता रहे या शिकायत करते रहे। कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
देखा जा रहा है कि, लोगों के शिकायत को लेकर श्रीमान आयुक्त संभाग अम्बिकापुर के द्वारा कार्य हेतु दो माह पूर्व आदेश दिया गया था, परंतु आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। क्या यह व्यक्तिगत द्वेष है या राजनितिक दबाव ? इस संबंध को लेकर माननीय विधायक जी से भी अवगत कराया जा चुका है एवं लिखित में भी दे दिया गया, परंतु विधायक जी के द्वारा भी प्रशासन को अवगत नहीं कराया गया।
लोगों में चर्चा है कि, ये बड़ी विडम्बना वाली बात है लोगों का कार्य हेतु तहसील कार्यालय में आर.आई. का रिपोर्ट तहसीलदार बाबू के पास आने के बावजूद भी बाबूओं द्वारा हटधरी के साथ कागज को नहीं बढ़ाया जाता। क्या बाबू लोग पैसे का इंतजार कर रहे है या किसी के दबाव का ?
वही बताया जाता है कि, कागज को बढ़ाने के लिए तहसील में कुछ दबाववश शिक्षकों को भी रखा गया है वह भी एक दूसरे का मुंह देखते है। मिली जानकारी के अनुसार, हेड बाबू के इशारे पर पूरी तहसील चल रही है। इस प्रकार न्यायालय प्रक्रिया लोगों को कब तक परेशान करता रहेगा ? और जनता का दोहन होता रहेगा ?
बता दें कि, तीन हजार रूपये रिश्वत लेने का मामला आवेदक (बीरन सिंह) के पत्र से प्राप्त हुआ है। आवेदक (बीरन सिंह) अपनी गुहार व आपबीती को श्रीमान मुख्यमंत्री रायपुर में भी शिकायत किया है कि, तहसील में आदिवासियों के साथ दोहन हो रहा है।