बैकुण्ठपुर जिला कोरिया में जितने भी पटवारी और आर.आई. है बिना कमिशन के कोई कार्य नहीं करते। चाहे दस्तखत, सीमांकन या फतौनी चढ़वाना हो बिना पैसे के कोई काम नहीं करते है। वहीं कुछ आर.आई. द्वारा तहसीलदारों के नाम से फर्जी काम कर रहे है। जानकार सूत्र बताते है कि, रिटायर्डमेंट वाले आर.आई., नयाब तहसीलदार व तहसीलदार जो कि वह रिटायर्ड हो चुके है। उनका पूर्व की तारीख कोरे कागज पर सील और हस्ताक्षर लगा-लगाकर रखे हुए है। जिसका वर्तमान में उपयोग किया जा रहा है। क्या प्रशासन ऐसे लोगों के ऊपर कार्यवाही करेगा ?
उसी प्रकार बैकुण्ठपुर के समीप जिसको फोकट नगर कहा जाता था उस फोकट नगर में सरकार द्वारा गरीबों को जमीन फ्री में दिया गया था, जिनको बैकुण्ठपुर के रसूखदार व पैसो वालों ने अपने पैसे के बल पर अपने नाम चढ़वा लिये है। नियामानुसार फोकट नगर जिसको कहते है वह जमीन कभी भी बिक्री नहीं होती। इससे यह साबित होता है कि, नियम विरूद्ध जमीन का नामांतरण किया गया है यह सब बाबूओं के मथे सभी कार्य हो रहे है।
मिली जानकारी के अनुसार, कलेक्टर कार्यालय के बाहर नीलामी में दूकान कोई और खरीदा था परंतु अन्य लोगों के नाम पर दूकान कैसे कर दिया गया ? जबकि आदिवासी की जमीन को कोई नहीं खरीद सकता, तो दूकान का स्थानांतरण कैसे हुआ ? यहां तक कि, लोगबाग बिहार और झारखण्ड के लोग भी उस दूकानों में घुसे हुए है। क्या प्रशासन ऐसे व्यक्तियों पर जांच करेगा ? वही जिले को देखा जाये तो भ्रष्टाचारी चरम सीमा पार कर चुकी है।
बताया जाता है कि, कुछ कलेक्टर नकल शाखा से अन्य नामों से नकल निकाल कर शोषण करने में लगे हुए है। जिसमें रिटायर्डमेंट वाले आर.आई. व पटवारी भी इसमें सम्मिलित है। आगे समाचार में उन आर.आई.ओं का नाम घोषित किया जायेगा।