बैकुण्ठपुर मुख्यालय के समीप पटना हल्का नं. 13 पिपरा में पटवारी श्रीमती शकुन्तला सिंह को निलंबन कर दिया गया। इस कार्यवाही को लेकर लोगों में चर्चा का विषय बन गया है कि, बैकुण्ठपुर के पटवारी बालमिक मिश्रा पर भी बड़े-बड़े गंभीर आरोप लगे हुए है जो कि सोशल मीडिया में पैसों का लेन-देन देखा गया और पूर्व के नक्शे में भी काट-छांट करने के आरोप लगे हुए है तथा पूर्व मार्गदर्शन रोड पर डेढ एकड जमीन पटवारी बालमिक मिश्रा के सुपुत्र द्वारा अन्य लोगों के नाम जमीने खरीदी गयी थी जानकार सूत्र बताते है कि, उस जमीन में हर्रा के लगभग दस वृक्ष हरे-भरे लगे हुए थे। जिसको रजिस्ट्री में विलुप्त कर दिया गया। वही जमीन के क्रेता द्वारा महलपारा के अशोक विश्वकर्मा व शर्मा को आरा से काटते देखा, जिसको बैकुण्ठपुर के निवासियों ने भी ट्रेक्टर में ले जाते हुए देखा। इसके बावजूद भी इन सभी पर कार्यवाही क्यों नहीं किया गया ? पूर्व में वशिष्ठ टाइम्स समाचार में पुख्ता रूप से आवाज उठाई गयी। परंतु कटे हुए पेड़ को जप्त नहीं कर पाये। ये प्रशासन के लिए चुनौती नहीं तो क्या है ?
जानकार सूत्र बताते है कि, बैकुण्ठपुर के महलपारा रोड में रविकांत गुप्ता खसरा नं. 266 में हरे-भरे पेड़ कीमती ईमारती लकड़ी को भी काटा गया। जिसको एक महिला द्वारा बार-बार शिकायत किया गया, इस शिकायत को भी प्रशासन द्वारा नजर-अंदाज कर दिया गया। इनकी शिकायत श्रीमान् सरगुजा आयुक्त अम्बिकापुर व एस.डी.एम. को भी मौखिक रूप से कहा गया कि, पटवारी बालमिक मिश्रा को स्थानांतरण किया जाये। लेकिन स्थानांतरण तो नहीं किया गया परंतु सूत्र बताते है कि, ऐसे भ्रष्ट पटवारी को एक मेडिकल रिपोर्ट लगाकर उसे छुट्टी पर दिखाया जा रहा है जबकि जानकार सूत्र बताते है कि, राजस्व दस्तावेजों में पटवारी द्वारा हेरा-फेरी व लिपा-पोती किया जा रहा। लोगों का कहना है कि, आज-कल राजनितिक दबाव व पैसे के बल पर राहत मिल रही है।
वहीं श्रीमान् सरगुजा आयुक्त अम्बिकापुर द्वारा सुखाचार अधिनियम की धारा-4 के तहत् तहसीलदार महोदया जी को एक आदेश दिया गया था उस आदेश को भी महोदया जी ने दरकिनार कर दिया। सोचने वाली बात है कि, श्रीमान् सरगुजा संभाग के आदेश को दरकिनार करना, ये तहसीलदार की हटधरमी कहा जाये या लापरवाही। श्रीमान् आयुक्त संभाग अम्बिकापुर के आदेश को एक माह हो गया है, परंतु अभी तक कोई कार्यवाही नहीं किया गया। अब बरसात का समय है प्रार्थी का पूरा मकान जलमग्न हो गया। इस संबंध में तहसीलदार व आर.आई. द्वारा रिपोर्ट आने को कहा गया। लेकिन आर.आई. द्वारा अपनी तानाशाही व अपनी हटधरमी के आधार पर आज दिनांक 04/07/2024 तक कोई जानकारी नहीं दिया गया। जबकि प्रार्थी के घटना स्थल पर नयाब तहसीलदार, आर.आई. (शिवकुमार सिंह) व प्रभारी पटवारी (संजय सूर्यवंशी) भी साथ में उपस्थित थे। लेकिन पंद्रह दिन से ऊपर हो गये और तहसीलदार को प्रतिवेदन नहीं दिया गया। आवेदक के घटना स्थल पर कोई सुनवाई नहीं हुआ। अनावेदक पर पूरा ध्यान दिया गया। जानकार सूत्र बताते है कि, तहसील कार्यालय में व आर.आई को जब तक पैसा नहीं मिलता तब तक कोई कार्य नहीं करते है। पूर्व से ही आवेदक द्वारा लिखित में पत्र दिया जा रहा है परंतु कार्यवही नहीं होती। आवेदक का जन-धन का नुकसान व किसी प्रकार की घटना घटती है तो इसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
पूर्व से ही राजस्व विभाग के संबंध में समाचार लिखा जा रहा है उस समाचारों को लेकर बैकुण्ठपुर तहसीलदार के समक्ष संपादक जाकर मिले, परंतु तहसीलदार द्वारा संपादक से अभ्रद्र व्यवहार व कड़क शब्दों के लिहाजे में बात किया गया और तहसीलदार द्वारा समाचार प्रकाशन को लेकर कहा गया कि, आप बाहर निकल जाईये। जबकि भारत सरकार सिनियर सिटीजन का सम्मान करती है। बताया जाता है कि, तहसीलदार महोदया द्वारा वन विभाग की जमीन में भवन बना हुआ है। इससे पूर्व माननीय भईयालाल राजवाड़े जी को आपबीती बातों को लिखित रूप से दिया गया। इस संबंध को लेकर विधायक के निवास में भी कई बार संपादक गये हुए थे। जिसमें श्रीमान् आयुक्त के आदेश का भी उल्लेख किया गया। फिर भी कोई कार्यवाही नहीं किया गया। इससे साबित होता है कि, बैकुण्ठपुर प्रशासन विधायक की बात मानते ही नहीं या विधायक ने प्रशासन को बताया ही नहीं।
प्रशासन से जनता का मांग है कि, सभी बिन्दुओं पर प्रशासन संज्ञान में लें तो सभी अधिकारी कर्मचारी जेल के सलाखों के पिछे होंगे। इस संबंध में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री माननीय विष्णुदेव साय व माननीय राजस्व मंत्री टंकराम बर्मा जी से भी मोबाईल द्वारा प्रशासन के संबंध में अवगत कराया गया। जब छत्तीसगढ़ शासन के बातों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा तो ये बड़ी आश्चर्य जनक बात है। इस समाचार को लेकर बैकुण्ठपुर की जनता पुछना चाहती है कि, एक पटवारी को सजा देना और दूसरे पटवारी को संरक्षण देना ये कहां कि, न्याय है। ये सभी विचारधाराऐं कोरिया के जनता की है।