जिला मुख्यालय रायगढ़ में यातायात पुलिस द्वारा जगह-जगह पर नाका लगाकर वसूली की जा रही है। उनके द्वारा दो चक्का वाहनों को हेलमेट न लगाने पर और चार चक्का वाहनो को सीट बेल्ट न लगाने के नाम पर जोरो-शोरो से वसूली किया जा रहा है। जानकार सूत्र बताते है कि, मोटरसाइकल वालों से लगभग 200-300 रूपये तक और चार चक्का वाहनो से लगभग 500-600 रूपये तक वसूली की जा रही है। यहां तक की ट्रक वालों से भी हजारों की वसूली की जा रही है। क्या यह वसूली थाना प्रभारी व उच्च अधिकारियों के दिशा निर्देश में चल रही है ?
इस प्रकार पुलिस की तानाशाही पर रायगढ़ जनता द्वारा सवाल उठाया जा रहा है कि, यातायात पुलिस द्वारा किसके दिशा निर्देश पर वूसली की जा रही है। लोगों में चर्चा है कि, जो लोग पुलिस वालों से परिचित है उसकी रसीद काट ली जाती है और जो लोग परिचित नहीं है उनसे बिना रसीद के पैसे ले ले लिए जाते है। ये पुलिस का दौहरापन कैसा ?
आज देखा जाए तो पुलिसकर्मी के बच्चे अच्छे-अच्छे स्कूलों में पढ़ रहे है व दस-पंद्रह लाख के गाड़ी में चल रहे है। और अपनी शान-शौकत की सभी चीजें प्राप्त मात्रा में खरीद रहे है। क्या यह सभी मौज वसूली से चल रही है ? क्या पुलिस प्रशासन या छत्तीसगढ़ शासन ऐसे पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही करेगी ? कुछ नयी पीढ़ी के पत्रकार फेसबुक पर उनकी प्रसंशा लिखते नजर आयेंगे। क्योंकि पुलिस की दलाली व चापलूसी करना उनकी भी मजबूरी है। चापलूसी नहीं करेंगे तो सोशल मीडिया पर नहीं लिख पायेंगे।