खैरागढ़ : खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले में घने जंगलों के बीच है मंडीप खोल गुफा। इस गुफा की खासियत ये है कि, ये साल में एक बार खुलता है। अक्षय तृतीया के बाद पहले सोमवार के मौके पर इस गुफा का द्वार खोला गया। जिसके बाद परंपरा के मुताबिक ठाकुरटोला रियासत के सदस्यों ने पहली पूजा की। इसके बाद हजारों की संख्या में लोग शिवलिंग के दर्शन करने गुफा में पहुंचे। यहां भगवान भोलेनाथ की विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। साल में एक बार खुलने वाले इस गुफा को देखने हजारों की संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं।
भोलेनाथ को समर्पित इस गुफा के दर्शन के लिए प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के कोने कोने से हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। दुर्गम रास्ते, घने जंगल और नदी नालों को पार कर श्रद्धालु बाबा मंडीप खोल के दरबार में पहुंचे हैं। गुणिराम बैगा, विष्णु पुजारी ने बताया, मंडीप खोल गुफा को लेकर कई रियासत कालीन मान्यताएं जुड़ी है। वर्षो से ठाकुरटोला के जमीदार इस गुफा को अक्षय तृतीया के बाद पड़ने वाले सोमवार को केवल एक दिन के लिए विधिवत पूजा अर्चना कर खोलते हैं। चट्टान हटाने से जंगली जानवरों से बचाव के लिए पहले हवाई फायर भी किया जाता है। गुफा में पहला प्रवेश जमीदार परिवार के लोग ही करते हैं और वहां स्थित शिवलिंग सहित अन्य देवी देवताओं की विधि विधान से पूजा अर्चना कर क्षेत्र की खुशहाली की कामना करते हैं।
एक ही नदी को 16 बार करते हैं पार : अक्षय तृतीया के बाद आने वाले पहले सोमवार को यह गुफा खोला जाता है। मंडीप खोल गुफा को ठाकुर टोला जमींदारी के अंतर्गत आने के साथ ही परंपरागत अनुसार यहां के राजा या उनके परिवार के सदस्य ही खोलते हैं। इसके बाद देवी देवताओं का स्मरण कर पूजा अर्चना कर लोग गुफा के अंदर प्रवेश करते हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु सहित पर्यटक गुफा खुलने के बाद अंदर पहुंचे। गुफा में पहुंचने के लिए एक ही नदी को 16 बार पार करके लोग मंडीप खोल गुफा तक पहुंचते हैं।
रहस्यों से भरी है गुफा : राज परिवार के सदस्यों ने बताया कि ”गुफा के अंदर कई रहस्य छिपे हुए हैं। गुफा में चमकीले पत्थर पाये जाते हैं। मीना बाजार, अजगर गुफा, चमगादड़ गुफा, श्वेत गंगा भी है। परिवार ही अक्षय तृतीया के बाद पहले सोमवार को मंडीप खोल गुफा में प्रवेश करता है। इसके बाद गुफा में विराजमान शिवलिंग की पूजा की जाती है।”
देश की सबसे लंबी गुफा : गुफा का रहस्य आज भी बरकरार है। कई किलोमीटर और घने जंगलों का सफर कर इस गुफा तक लोग पहुंचते हैं। गुफा का रहस्य अभी भी नहीं सुलझा है। गुफा की गहराई का भी अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है। इस गुफा को देश की सबसे लंबी गुफा माना जाता है। वहीं एशिया में मंडीपखोल गुफा का नंबर तीसरा है। यानी तक इस गुफा की छोर नहीं मिली है। इसलिए भी लोग एक दिन इस गुफा के दर्शन करने के लिए आते हैं। लेकिन सभी लोगों को शाम होने से पहले ही बाहर आना होता है।
गुणिराम बैगा, विष्णु पुजारी ने बताया, मंडीप खोल गुफा कई तरह के रहस्य और रोमांच से भरी हुई है। बाहर पड़ रही भीषण गर्मी गुफा के भीतर जाते ही शीतलता में बदल जाती है। सकरे मुख वाली इस गुफा के अंदर अनेक बड़े कक्ष हैं। कुछ साल पहले पुरातत्व विभाग ने इस गुफा का सर्वेक्षण किया था, जिसमें यह पाया गया कि, यह गुफा देश की सबसे लंबी और एशिया की दूसरी सबसे लंबी गुफा है। इसके इतिहास में काफी रहस्य छिपे हुए हैं, जिन पर अभी अनुसंधान होना बाकी है।
मैकल पर्वत में है मंडीप गुफा
भौगोलिक दृष्टिकोण से मंडीप खोल गुफा मैकल पर्वत माला के खूबसूरत हिस्से में स्थित है, यहां पहुंचना सरल नहीं है, क्योंकि गुफा तक पहुंचने का कोई स्थाई रास्ता नहीं है। पैलीमेटा या ठाकुरटोला तक ही सड़क मार्ग मौजूद है। इसके बाद भक्तों को घोर जंगल से होते हुए पगडंडियों की सहायता से पहाड़ों को पार कर रास्ते में पड़ने वाले नदी और नालों को भी पार करना पड़ता है। गुफा के पास स्थित कुंड से निकलने वाली श्वेत गंगा को श्रद्धालु रास्ते में 16 बार पार करते हैं और बाबा भोलेनाथ के दर्शन पाते हैं।