Home निरीक्षण नरसिंहपुर : कृषि अधिकारी एवं वैज्ञानिकों ने किया फसलों का निरीक्षण……………

नरसिंहपुर : कृषि अधिकारी एवं वैज्ञानिकों ने किया फसलों का निरीक्षण……………

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नरसिंहपुर : कलेक्टर श्रीमती शीतला पटले के निर्देशन में कृषि विभाग के अधिकारियों व कृषि वैज्ञानिकों ने जिले के ग्राम डोकरघाट, धबई, सांवलरानी, चीलाचौनकलां, समनापुर, मुड़िया एवं अन्य ग्रामों का निरीक्षण कर फसलों का जायजा लिया।

      उप संचालक कृषि श्री उमेश कटहरे, अनुविभागीय कृषि अधिकारी श्रीमती शिल्पी नेमा, कृषि विज्ञान केंद्र की वैज्ञानिक डॉ. निधि वर्मा, सुश्री पूजा पाठक व ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी श्रीमती अंजू जाटव ने ग्रामों का निरीक्षण कर फसलों का जायजा लिया।

      निरीक्षण के दौरान ग्राम डोकरघाट में कृषक श्री रुस्तम खान एवं श्री राकेश पटेल द्वारा नरवाई जलाये बिना जीरो टिलेज अंतर्गत सुपर सीटर के माध्यम से मूंग की बोनी की गई। इससे मृदा में नमी बनी रहती है, क्षरण कम होता है और पानी की बचत होती है, इससे किसान संतुष्ट हैं।

      ग्राम धबई, सांवलरानी, चीलाचौन कलां, समनापुर, मुड़िया एवं अन्य ग्रामों में लगभग 200 एकड़ जमीन में जीरो टिलेज के माध्यम से मूंग की बोनी की गई है।

      जिले में 40- 50 दिन की अवधि में मूंग की फसल हो गई है। इन फसलों में अभी रोग एवं कीटों का प्रकोप नहीं पाया गया, फसल की स्थिति ठीक है। भविष्य में कीट व्याधि के बचाव के लिए थायोप्लस लेम्डा साइक्लोथ्रीन 80 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव किया जा सकता है।

      जिले में विशेष अभियान के तहत गन्ने के साथ सब्जियों की अंतरवर्तीय खेती के प्रति रुझान बढ़ा है। ग्राम मुड़िया के कृषक श्री शिवकुमार पटेल एवं अन्य कृषकों द्वारा गन्ने की फसल के साथ मूली व धनिया की फसल की बोई गई है। साथ ही ग्रीष्मकालीन मूंग 122422 हेक्टर, उड़द 5137 हेक्टर एवं सोयाबीन का करबा भी 7085 हेक्टर हुआ है।

      जिले की विपणन संघ के डबल लॉक केन्द्रों एवं सहकारी समितियों में यूरिया 3716 मी. टन, डीएपी 2512 मी. टन, एमओपी 112 मी. टन, एनपीके 787 मी. टन एवं एसएसपी 2779 मी. टन उपलब्ध है। किसानों से अपील की गई है कि वे उर्वरक का अग्रिम उठाव करें, ताकि आने वाले खरीफ मौसम में होने वाली परेशानी से बचा जा सके। साथ ही जिले में संतुलित उर्वरकों की पूर्ति संभव हो सके एवं किसी भी उर्वरक की कोई कमी न हो। किसानों द्वारा अग्रिम उठाव करने पर खरीफ मौसम के लिए उर्वरक की माँग की जा सके।

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