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क्या वसूली के पैसे से या शासकीय पैसे से कोरिया जिले का झुमका जल महोत्सव ? ……..

शासकीय विभाग के ठेकेदार, सप्लायर, क्रेशर संचालक, ईंट भट्टों एवं धान खरीदी केन्द्रों को भी वसूली का शिकार माना जा रहा है।

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बैकुण्ठपुर कोरिया झुमका जल महोत्सव में कांग्रेस के शासन काल में प्रथम बार प्रारंभ हुआ था। वही जो कांग्रेस विधायक सहित मुख्यमंत्री का एकाएक अपनी सोच अनुसार आयोजित हुआ था। पुनेः कांग्रेस की सोच के अनुसार आयोजन जिले में हो रहा है और कांग्रेस ने झुमका बांध को विकसित करने के लिए पर्यटन के रूप में इसे लोकप्रिय करने के लिए गतवर्ष में जिलाधीश कोरिया के नितृत्व में किया था वहीं तत्कालिन सहित कलेक्टर ने नई सरकार गठन होने के उपरांत भी आयोजित दूसरे वर्ष किया जा रहा है। नव निर्वाचित भाजपा के जनप्रतिनिधि भी सामिल हो रहे है। महाउत्सव के तैयारी में जिला प्रशासन तैयारी कर ली है। कार्यक्रम के लिए प्रशासन द्वारा इसकी शासकीय प्रोग्राम में शासन का खर्चा होना है पर कार्यक्रम के लिए वसूली हुआ है। प्रत्येक शासकीय विभाग को कार्य के लिए अलग-अलग स्थान के लिए जिम्मेदारी दी गई है। सूत्रों के द्वारा जानकारी प्राप्त हुआ है कि, शासकीय विभाग के ठेकेदार, सप्लायर, क्रेशर संचालक, ईंट भट्टों एवं धान खरीदी केन्द्रों को भी वसूली का शिकार माना जा रहा है। जानकार सूत्र बता रहे है कि, 4-5 करोड़ रूपये का वसूली कर लिया गया है और खनिज विभाग द्वारा लोगों से भी वसूली किया गया है। कार्यक्रम में शासकीय बजट भी व्यय किया गया है। लेकिन वसूली भी की गई है जैसा कि सूत्रों का कहना है कि, वसूली क्यों की जा रही है समझ से परे है समझा जा रहा है। पर्यटन के रूप में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने विकसित किया था वहीं आरंभ में लगा था कि, वह क्षेत्र पर्यटन के रूप में विकसित होने के वजह से बाहर के लोग भी पर्यटन स्थल पर सम्मिलित हो सकेंगे। पूर्व में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में झुमका के पर्यटन स्थल की साफ-सफाई न होकर बदहाली देखी जा रही है। कोई भी किसी प्रकार की साफ-सफाई पर जीरो नजर आ रहा है। पूर्व में झुमका की सुंदरता नजर आती थी आयोजन अब नई जन प्रतिनिधियों के बीच उनके सहमति से सम्पन्न हो रहा है। हाउसबोट का भी व्यवस्था किया गया है। जो कि लोगों को झुमका में घुमने के लिए लगाया गया है। अब देखना यह है कि, झुमका क्षेत्र पर्यटन के नाम पर कितना विकसित होगा। झुमका जल महाउत्सव में सभी व्यवस्थाओं के प्रशासन द्वारा टेंडर होना चाहिए था पर अधिकारियों द्वारा अपने पूराने बातों पर ही ध्यान दिया जा रहा है। क्या अपने पूराने कार्यकाल को ध्यान में रखते हुए अपने कार्यकर्ता जो पूरा कार्य कर चुके है उन्हीं को कार्य क्यों सौंपा गया ? या तो अधिकारियों का उनसे कोई लगाव है या घनिष्ठता है। जिससे पूराने कार्यकर्ताओं पर कार्य छोड़ा गया है।

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