जिला एम.सी.बी के अन्तर्गत धान खरीदी केन्द्रों में किसानों के साथ में जबरजस्त लुटपाट जैसा महौल दिख रहा है जिस पर खाद्य विभाग, एस.डी.एम. का चौकीदारी में भी धान प्रभारी हेरा-फेरी में भी नहीं चुक रहे है। किसी भी धान खरीदी केन्द्रों में जाइऐ 10-12 दलाल मिलेगें। क्योंकि यह सभी दलाल धान प्रभारी के इशारे पर चल रहे है। सूत्र के द्वारा माने तो खाद्य अधिकारी, तहसीलदार, एस.डी.एम. तक संलिप्त है। चर्चा का विषय है कि, एक धान खरीदी केन्द्र में कम-से-कम एक अधिकारी को 10,00,000 रूपये प्राप्त होता है तो अनुमान लगाया जाये इस हिसाब से फर्जी पत्रकार नई पीढ़ी के ऐसे कितने लोग धान खरीदी केन्द्रों में पहुंचते होंगे, जब चौकीदार ही चोरी करने लगे तो देश का क्या होगा ? सब कुछ करने के बाद भी धान खरीदी प्रभारी 25-30 लाख रूपये बचा लेता है। देखा जाये तो खान खरीदी केन्द्रों पर इतना बड़ा दबाव होने के पश्चात् भी इतना बांटने के बाद भी बचाना बहुत बड़ी बात है। अब प्रशासन किसके उपर दबाव बनायेगा, क्योंकि प्रशासन के अधिकारियों के उपर ऐसे-ऐसे लोग हावी होते है जो कि अपने को राष्ट्रीय चैंनल बताने वाले उसी श्रेणी में पाए जा रहे है उनके केमरा के सामने सभी बौने नजर आते है और नई पीढ़ी के पत्रकार काला चश्मा आंखों में चढ़ाकर हाथों में मोबाईल लेकर जब धान खरीदी केन्द्रों में पहुंचता है तो आधी बुद्धि मोबाईल को देखकर गोल हो जाती है अब हमारे कलेक्टर महोदय की पूरी टीम जो कि मीटिंगों में लम्बा-लम्बा बात करने वाले अधिकारी बहुत मिलेंगे पर संभाल नहीं पा रहे है क्योंकि पैसे के सामने नतमस्तक है तो करें तो करें क्या ? पैसा भी बहुत जरूरी है ऐसे भी लोग मिलेंगे जो अपना नाम भी लिखना नहीं जानते पर चार चक्का वाहन को भी मेंटनेंस कर पा रहे है । क्योंकि भूतपूर्व मुख्यमंत्री ने ऐसे नई पीढ़ियों के लोगों को बैठने का स्थान बांटा है इसे बहुत बढ़ावा मिला है। काका अपने पोकिट से पैसा दिए होते तो उनको दर्द होता। कर्जा लेकर पैसा बांटना कोई बड़ी बात नहीं है कोई भी बांट सकता है। क्योंकि अधिकारी या नेताओं के बीच अनुभवी पत्रकार न बुलाए जाते है न जाते है इसका परिणाम यह है।
लाठियों के बीच में भी धान की खरीदी में बंदर बांट प्रशासन हुआ नतमस्तक…………….
जिला एम.सी.बी के अन्तर्गत धान खरीदी केन्द्रों में किसानों के साथ में जबरजस्त लुटपाट जैसा महौल दिख रहा है