बैकुण्ठपुर जेल में जो कृत्यों को देखा जा रहा है यह चर्चा का विषय है, अपराधियों को जेल से बाहर का खाना और बिसलेरी का पानी भी बाहर से सप्लाई होता है। जानकार सूत्र बताते है कि, जेल में गांजा, शराब एवं मोबाईल से बिजनेस भी सूचारू रूप से चलाया जा रहा है, क्योंकि हफ्ते में एक दिन अपराधियों से मिलने का प्रावधान है पर पैसे के दम पर एक दिन में चार-चार बार अपराधियों से लोग मिल रहे है। जानकार सूत्र बताते है कि, जो अपराधियों के लिए सामान जाता है नमकीन, बिस्कुट यह सभी आरक्षक आपस में बांट लेते है, अंदर भी नहीं पहुंचने देते है। जिन आरक्षकों व हलवदारों के द्वारा आपस में चर्चा करते हुए लोगों के द्वारा सुना गया है कि, पत्रकारों को 400-500 रूपये में खरीदा जा सकता है, इनकी औकात क्या है। इस समाचार के माध्यम से उन लोगों को समझाइस देना भी जरूरी है, जो पत्रकार की परिभाषा नहीं जानते, वो मुर्गी चोर होते है, जो कि अपनी मीट-मटन की दुकान छोड़कर आये है जो कि 4-6 आदमियों को संगठन बनाकर प्रशासन पर हावी होना चाहते है उसमें गिनती न करें। कोरिया जिले के ऐसे भी पत्रकार है जो राज्य शासन से लेकर भारतीय प्रेस परिषद में पहचान रखने वाले ऐसे घिनोनी हरकतों से परहेज करते है। और स्वयं अकेले रहकर अपनी स्वंय की एवं सच्चे पत्रकारों की लड़ाई लड़ते है। ऐसे जो कि भीड़ का गुट बनाकर अपनी वसूली का मिशाल बना रहे है। कुछ लोगों में चर्चा है कि, जेल के आरक्षक जो अंदर रहते है अपराधियों के हिस्से का खाना भी खाते है और यहां तक लोगों में चर्चा है कि, उनके खाने की सामाग्री भी अपने साथ घर ले जाते है, अपराधियों को सभी प्रकार की सुविधा दिया जा रहा है यह किसकी सय पर ? क्या यह सभी कृत्य जेल अधीक्षक को मालूूम नहीं, और मालूम है तो, अनदेखी क्यों ?
जेल में हवलदार व आरक्षकों को दसों साल से एक ही स्थान पर……
बैकुण्ठपुर जेल में जो कृत्यों को देखा जा रहा है यह चर्चा का विषय है