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एमसीबी जिले में कबाड़ जुआ सट्टा और अवैध शराब का जोरो पर चल रहा है व्यापार….

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जिला एमसीबी चिरमिरी में जगह जगह सटटे का व्यापार व जुआ भी साथ में चल रहा है। लोगों में चर्चा है कि सटटा खिलानें वाला व जुआ खिलानें वाले का कहना है कि हम लोग चरमिरी के पत्रकारों व पुलिस वालों को हर महीना पैसा देते है तो हम लोगो को डर किस बात का है। चिरमिरी के नजदीक मध्यप्रदेश लगा हुआ है वहा से अवैध रूप से शराब आ रही है। जिसको लोगों के द्वारा सप्लाई किया जा रहा है। इसी प्रकार मनेंन्द्रगढ खोंगापानी झगडाखांड नईलेदरी में जगह जगह सटटा पटटी का कार्य करनें वालें हर जगह पाये जा सकते है। इसी प्रकार केलहारी जनकपुर यहां तक की नागपुर को भी नहीं छोडा सटटा पटटी से। अवैध रूप से कार्य करनें वालों से सभी वैबसाईड वाले पत्रकार बताकर हाथ में माईक लेकर वसूली में उतारू हो गये है। यहां तक की आईएस आईपीएस से जवाब तलब करनें लगे है। पत्रकारिता में कोई भी किसी प्रकार की लागत नहीं है। माईक लेकर वसूली करनें का अच्छा रास्ता अपनाया जा रहा है।

हर रोज पत्रकार पैदा हो रहें है। और 6 महीना जब होता है पत्रकार के नाम पर कार खरीदनें को तैयार हो जाते है।। अब हमारे देश में बेरोजगारी समय को देखते हुये समाप्त हो रही है। इसमें मजदूर टाईप के अनपढ और चाय बेचने वाले अण्डा बेचनें वाले मुर्गी बेचने वाले बकरा काटनें वाले सभी पत्रकार की श्रेणी में आ चुके है। जो असली पत्रकार है उनकी कद्र घट रही हैैं यहां तक की सूचना के अधिकार में अब जनपद पंचायत पंचायत वन विभाग लोक निर्माण विभागो को व सभी विभागों को टारगेट में ले लिया है। प्रिंट मिडिया भी इतनी फैल चुकी है कि हर जिलें में 10 पेपर मालिक नजरआयेंगे उनको भी संवाददाता बनाना है इस हिसाब से सैकडों की तादात में पत्रकार ही नजर आते है उनको कोई मतलब नहीं है कि संवाददाता कैसा है उसका चरित्र कैसा है। ये सब जानकारी नही तेले है। यहां तक की लोग अपनी दुकानदारी छोडकर पत्रकारिता में आ गयें है। और सुबह से लेकर शाम तक नई पीढी के पत्रकार अधिकारियों से पैसे वसूलतें नजर आयेंगे और शाम हुआ तो कुछ ऐसे ऐसे स्थानों पर जाकर दारू पीते हुये नजर आयेंगे ऐसा प्रतित होता है कि पत्रकारिता विलुप्त हो गई है।और गुण्डों की फौज खडी हो गई है।

भारत सरकार व राज्य सरकार ऐसे आवारा लागों पर प्रतिबंध नही लगाय गया तो मिडिया के नाम पर बेकाबू हो जायेंगे। औरं नई पीढी के पत्रकार संगठन व समूह बनाकर अधिकारियों से बैठक के नाम पर व सम्मेलन के नाम पर पैसा उगाई करते है। ये बडी विडंबना है जो कि सिनियर संपादको को अपना जान बचाना मुश्किल हो रहा है आज के दौर में ये देखनें को मिल रहा है कि एक हफ्ता किसी का पेपर पकड लिये दूसरा हफ्ता किसी और का पेपर पकड लिये आपको सबसे ज्यादा मिडिया के नाम पर चिरमिरी मनेन्द्रगढ व बैकुण्ठपुर में देखनें को मिल जायेंगे। यहां तक की एक व्यक्ति ऐसा भी है जो सूचना के अधिकार को लेकर मनेन्दगढ से लेकर सारंगढ तक कार लेकर पैसा वसूलता है। इससे ये अनुमान लगाया जा सकता है कि हमारे देश में भ्रष्टाचारी की सीमा बढ़ चुकी है।

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