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पुलिस प्रशासन की मिली भगत से खुले आम घुम रहे अपराधी और नायाब तहसीलदार द्वारा कराया जा रहा अनाधिकृत कर्मचारी से काम….

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बैकुण्ठपुर :- मुख्यालय के समीप गिरजापुर तरगवां व पटना में जिन लोंगों के ऊपर अपराध पंजीकृत हुआ है उन लोगो को आज तक पुलिस अपनें हिरासत में नहीं ले पाई है। जो कि खुलेआम घुम रहें है लोगो में चर्चा का विषय बना हुआ है कि अपराधियों को छुट देकर रखें हुये है ऐसा मालुम पड रहा है कि अपराधियों का पुलिस प्रशासन से तालमेल जुड़ा हुआ है। लोंगो में चर्चा हो रही है कि पुलिस की मिली भगत के कारण ही अपराधियों को पूर्णरूप से सहयोंग मिल रहा है या तो दबाव वश या अन्य वजह से या फिर पैसे के बल पर उन्हे बचाया जा रहा है इसी तरह से पुलिस प्रशासन बचाव करती रहेगी तो इससे और भी बड़ा संगिन अपराध बढ़ सकता है।

नायाब तहसीदार अंजान कैसे बने हुये है। इसकी समस्त जानकारी होते हुये भी नायाब तहसीलदार को पहले मालूम कैसे नही पड़ा सोचने वाली बात है। अपराध पंजीब़द्ध होने के बाद भी अपराधी खुलेआम घुम रहे है। नायाब तहसीलदार की उपस्थिति में साथ ही नायाब तहसीलदार के आईडी का उपयोंग भी लगातार उसी अनाधिकृत कर्मचारी के द्वारा फिर से किया जा रहा हैं जैसी स्थिति है उसे देखकर यह संभावना जताई जा रही है कि एक बार फिर बड़े पैमानें पर फर्जीवाड़ा हो सकता है या फिर हुए फर्जीवाड़े को समेटनें का प्रयास हो रहा है कोरिया जिलें में ऐसे ऐसे मामलें आते हैं जो लोंगो को आश्चर्य में ड़ाल देते है। जब लोगों के लिये दिक्कत खड़ी करे तो सवाल तो उठना लाजमी है।

कोरिया जिले का एक बहुत चर्चित व दिलचस्प मामला है वह पटना तहसील कार्यालय का जहां पर कुछ दिन पहले तहसीलदार की आईड़ी से रकबा को घटा बढाकर भारी मात्रा में धान बेचकर लाभ कमाया गया था। जब मामला उजागर हुआ तो तहसीलदार ने अपना पल्ला झाड़ते हुए अनाधिकृत कर्मचारी पर पूरा दोष मढ़ा दिया और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई जब तहसीलदार ने जांच कर एफआईआर करनें का आदेश दे दिया उसके बाद जिस व्यक्ति को गिरफ्तार कर जेल भेजना था उसे तहसीलदार प्रतिदिन अपनें कार्यालय बुलाकर काम करा रहें है। फिर समझ में यह नही आ रहा कि आखिर अनाधिकृत व्यक्ति दोषी था भी या फिर तहसीलदार साहब अपनें आप को बचानें के लिये बहुत बड़ी योजना बनाकर काम कर रहें थें। जहां बाकी आरोपी फरार बताए जा रहें है। वही तहसीलदार का अनाधिकृत कर्मचारी दिनदहाड़े तहसीलदार के साथ ही काम कर रहा है। क्या तहसीलदार ही उसे फसाए हैं और तहसीलदार ही उसे बचाएंगे ऐसा अब लोंगो के जहन में सवाल उठनें लगा है कितना प्रभावशील है तहसीलदार इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है जबकि इनकी पत्नि भी इनसे ऊपर एसडीएम पद पर बैठी है क्या उन्हीं के इशारे पर सब हो रहा ?
इस पूरे मामलें में अब देखनें वाली बात यह है कि क्या कलेक्टर कोरिया मामलें में संज्ञान लेंगे क्या वह पूरे मामलें में कार्यवाही करेंगें वही कही तहसीलदार को राजस्व का अधिकारी होनें के नाते अभयदान तो नहीं मिलेगा ?

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