छत्तीसगढ़ :-किसानों के लिए जीरे की खेती अब वरदान साबित हो रही है. इस खेती से किसानों को तेजी से फायदा हो रहा है. यूं कहें कि जीरा अब किसानों के लिए हीरा साबित हो रहा है. जीरे के भाव में तेजी देखने को मिल रही है, बाजार में जीरे का भाव 33 हजार रुपये प्रति क्विंटल के पार है. इसकी खेती कर किसान लाखों की कमाई कर रहे हैं.
जीरे का पौधा सूखी बलुई दोमट मिट्टी में लगभग 30 डिग्री के तापमान में पनपता है. जीरे की फसल को पकने में लगभग 110-115 दिन का समय लगता है. गुजरात का उंझा देश में जीरे का प्रमुख व्यापारिक केंद्र है. पौधे की ऊंचाई 15 से 50 सेमी. इसका फल व्यावसायिक महत्व का होता है और 3-6 मिमी लंबा होता है.
जीरे की बेहतर किस्में आरजेड 19 और 209, आरजेड 223 और जीसी 1-2-3 हैं. इन किस्मों की पकने की अवधि 120-125 दिन है. इन किस्मों की औसत उपज 510 से 530 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है. किसान इनमें से किसी एक प्रजाति का चयन कर बोवनी कर सकते हैं.
जीरे की खेती शुरू करने से पहले खेतों में क्यारियां बना लें. फिर उसमें बीज छिड़क दें. बीजों का छिड़काव करने के बाद बीजों को मिट्टी में मिला दें, ताकि बीजों पर मिट्टी की हल्की परत लग जाए. मिट्टी की परत एक सेंटीमीटर से अधिक मोटी नहीं होनी चाहिए. खाद डालें और सिंचाई करें.
देश का 80% से ज्यादा जीरा गुजरात के उंझा और राजस्थान में उगाया जाता है. एक हेक्टेयर में करीब 7-8 क्विंटल जीरा पैदा होता है. जीरे की खेती की लागत लगभग 35,000 रुपये प्रति हेक्टेयर है. जीरे का भाव 33 हजार रुपए प्रति क्विंटल है. इस हिसाब से एक हेक्टेयर में इसकी खेती से 2.30 लाख रुपए तक की कमाई हो सकती है.