हालांकि मादा हाथी की खोज में वन विभाग के कर्मचारी,वनमित्र दल और सरगुजा से आए ट्रेकर नौवें दिन भी जुटे रहे
मादा हाथी को खोजने के लिए दल तपकरा रेंज के जंगलों के साथ बस्ती में घुसने वाले हाथियों पर भी नजर रखे हुए हैं। वनविभाग ने इंटरनेट मीडिया के माध्यम से हाथी की सूचना देने की अपील की है।
13 सितंबर की सुबह दो माह का मादा हाथी का बच्चा तपकरा रेंज के ग्राम समडमा पहुंच गया था। आशंका जताई जा रही है कि ईब नदी को पार करने के दौरान नदी के तेज धारा में फंसकर छोटा हाथी बहते हुए यहां पहुंचा होगा। इसी दिन शाम को वन विभाग ने इस छोटा हाथी को समडमा के जंगल में डेरा जमाए हुए एक दल के पास छोड़ कर वापस भेजने का प्रयास किया था। लेकिन इस दल इसे स्वीकार नहीं किया और बच्चा दूसरे दिन सुबह फिर समडमा पहुंच गया। इसके बाद विभाग ने दो बार और इसी दल से मिलने का प्रयास किया था। लेकिन नतीजा शून्य साबित हुआ। परिणाम न निकलते हुए देखकर वनविभाग ने इस हाथी की मां को चिन्हांकित करने के लिए अभियान चलाया हुआ है। इस बीच हाथी के बच्चे को लवाकेरा के विश्राम गृह में सुरक्षित रख कर उसकी देखभाल की जा रही है। बताया जा रहा है कि हाथी के बच्चे के शरीर में कुछ घाव है। इनमें उसके नाभी के पास का घाव गंभीर है। पशु चिकित्सक इसके इलाज में जुटे हुए हैं। वहीं जानकारों का मानना है कि जैसे जैसे दिन व्यतीत होता जाएगा बच्चे को मां से मिलाना और कठिन हो सकता है। उनका कहना है कि मादा हाथी घूमते हुए दूर चले जाने समस्या गंभीर हो सकती है। इस बीच अगर मादा हाथी मिल भी जाती है तो उसका दूध सुख जाने से बच्चे के स्वास्थ्य को जंगल में खतरा हो सकता है। फिलहाल विभाग का लक्ष्य हाथी के बच्चे की मां को खोज निकालना है। इसके बाद आगे के कदम के संबंध में निर्णय लिया जाएगा।