भिलाई। दिवाली के बाद बाजार में छठ पूजा की रौनक नजर आने लगी है। सोमवार कोयूपी,बिहार व अन्य प्रदेशों की महिलाओं द्वारा नहाय खाय के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरुआत की जाएगी। इसके लिए बाजार भी सजकर तैयार हो गए हैं और खरीदार भी पहुंचने लगे हैं। रविवार को कपड़े और जेवर के अलावा सूपा, टोकनी, दऊरा और सब्जी बाजार में लौकी खरीदने के लिए महिलाएं पहुंचीं। दिवाली के बाद से बाजार में छाई वीरानी भी खत्म हो गई। बुधवार तक बाजार में फिर से अच्छी ग्राहकी होने की उम्मीद है। सोमवार को नहायखाय का विधान होगा। इस दिन छठ व्रत करने वाली महिलाएं व पुरुष सुबह स्नान कर लौकी और भात का सेवन कर व्रत का संकल्प लेंगे। लिहाजा रविवार को बाजार में लौकी खरीदने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे। इसके अलावा सूपा, टोकनी और दऊरा के दुकानों में भी अच्छी भीड़ नजर आई।
लोग बाजार में अर्घ्य देने के लिए सूपा और टोकनी के अलावा घाट तक पूजा सामग्री पहुंचाने के लिए दऊरा खरीदते नजर आए। सोमवार को नहायखाय करने के बाद मंगलवार को खरना होगा। इस दिन महिलाएं दिनभर के निर्जला उपवास के बाद शाम के समय में गुड़ वाली खीर और रोटी का प्रसाद बनाएंगी। पूजन के बाद परिवार के साथ उसे ग्रहण करेंगी। इसके बाद से उनका निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा। जो गुरुवार को उगते सूर्य को दूसरा अर्घ्य देने के बाद पारणा के साथ समाप्त होगा। छठ महापर्व के दौरान बुधवार की शाम को डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। छठ पूजा को देखते हुए टोकनी, सूपा और दऊरा की कीमतों में बढ़ोत्तरी हो गई है। अर्घ्य देने के लिए उपयोग किए जाने वाले छोटी टोकनी की कीमत 60 से 80 रुपये है। वहीं सूप 100 से 150 रुपये तक बिक रहे हैं। वैसे ही पूजा सामान को घाट तक ले जाने वाले दऊरा (बड़े टोकने) की कीमत भी 160 से 250 रुपये तक है। जबकि आम दिनों में इनकी कीमत 40 फीसद तक कम रहती है।
नेचरग्रीन कंपनी शहर की सफाई व्यवस्था चौपट कर वापस चली गई है। इधर, उत्तर भारतीयों का सबसे बड़ा महापर्व छठ सोमवार से शुरू हो रहा है शीतला तालाब सुपेला का सबसे पुराना तालाब है। तालाब के आसपास बड़ी संख्या में उत्तर भारतीय निवासरत हैं। जो इस तालाब में छठ पर्व मनाते आ रहे हैं। बीते साल दिवाली के तुरंत बाद तालाब की सफाई हो गई थी। लेकिन, इस साल अभी तक तालाब की सफाई का काम शुरू नहीं हो सका है। गहरीकरण व सुंदरीकरण के नाम पर पहले ही तालाब की सूरत बिगाड़ दी गई है। 2018 में शीतला तालाब के गहरीकरण व सुंदरीकरण के लिए डेढ़ करोड़ का टेंडर हुआ था। जब तालाब से ज्यादा मुरम निकलने लगा तब निगम प्रशासन ने मुरम खुदाई का काम दुर्ग की एक कंपनी को दे दिया। कंपनी यहां से तकरीबन 25 लाख रुपये का मुरम निकालकर ले गई। तालाब को बेतरतीब तरीके से खोद दिया गया। सुंदरीकरण करने वाले ठेकेदार ने मात्र दस लाख रुपये का काम किया और काम बंद कर दिया। तब से यह तालाब ऐसी ही पड़ा है। जबकि स्थानीय लोग व जनप्रतिनिधि एक महीने से तालाब की सफाई की मांग कर रहे हैं। पहली बार ऐसा हुआ है कि अब तक शीतला तालाब की सफाई नहीं हो पाई है। यह दुर्भाग्यजनक है। लोग गंदगी में त्योहार मनाने के लिए मजबूर है।